अभिभावकों को चाहिए कि उन्हें अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से नहीं करें। सब बच्चे एक जैसे नहीं हो सकते। दुनिया मे दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते । आपके बच्चे में जो खासियत है वो उस बच्चे में नहीं मिलेगी जिससे आप उसकी तुलना कर रहे है। उच्च अंक लाना ही कामयाबी है ऐसी धारणा गलत है। नम्बरों से ज्यादा महत्वपूर्ण आपकी जिंदगी हैं। किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता चाहिए होती है न कि अधिकतम अंक । परीक्षा व साक्षात्कार में सामान्य समझ ,वैचारिक स्पष्टता, विषयों की अच्छी सामान्य जानकारी ही काम आती है।देश की सर्वोच्च परीक्षाओं मे चयनित अभ्यर्थियों का शैक्षणिक रिकॉर्ड देखिए अपवाद को छोडकर अधिकांशत: लोग स्कूल व कॉलेज में औसत से थोड़ा बहुत ही अधिक अंक वाले हैं । अति महत्वकांक्षा अवसाद को जन्म देती हैं। ज्यादा से ज्यादा अंक लाना है, पड़ोसी से ज्यादा, रिश्तेदार के बच्चों से ज्यादा ,उससे ज्यादा… इससे ज्यादा…बच्चों पर मेहरबानी कीजिए। अच्छा करने कहिए लेकिन उसकी तुलना अन्य किसी से मत कीजिए इससे आपके बच्चे की रचनात्मक खत्म हो जाएगी ।आपका बच्चा जीनियस है । वो जीवन में ,जो आपने नहीं किया है उससे अच्छा करेगा। आपकी उम्मीद से ज्यादा करेगा। समाज केवल आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर और इंजीनियर से ही नहीं चलता।बल्कि इनके अलावा भी बहुत है जिनकी समाज व देश को जरूरत है। बस आप बच्चों को प्यार दीजिए, उसका आत्मविश्वास बढ़ाइएं। सफलता उसका जन्मसिद्ध अधिकार है।जिसे कोई नहीं छीन सकता। बस आप साथ दीजिए।
रतनलाल डांगी आईपीएस
जय हिन्द