टाउनशिप में मार्च के अंतिम सप्ताह से गंदे पानी की आपूर्ति शुरू हुई थी जो अगस्त के अंतिम सप्ताह तक जारी रही। बमुश्किल डेढ़ महीने ही साफ पानी मिला और अब स्थिति फिर जस की तस हो गई है। प्रबंधन का कहना है कि जल संसाधन विभाग द्वारा तादुंला जलाशय से प्राप्त रॉ वाटर में ही गंदगी है, इस कारण पानी उपचारित नहीं हो पा रहा है। गंगरेल या खरखरा जलाशय से पानी छोडऩे की मांग की जा रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि पानी का केमिकल ट्रीटमेंट करने वाली एजेंसी आयन एक्सचेंज बोरिया बिस्तर समेटकर चली गई है और नई एजेंसी केमबॉन्ड ने अभी काम शुरू ही नहीं किया है। आयन एक्सचेंज का काम अक्टूबर के पहले सप्ताह में समाप्त हो जाएगा, यह जानते हुए भी बीएसपी के अधिकारियों ने समय रहते टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं की। केमबॉन्ड मुंबई से केमिकल मंगा रहा है जो अभी रास्ते में है। ऐसे मेंं पानी ट्रीटमेंट शुरू होने में लगभग सप्ताह भर लग जाएगा।
पहले एक करोड़ महीने में एक एजेंसी नाल्को को पानी साफ करने का ठेका दिया गया। परिणाम आशाजनक नहीं रहा तो शहर की ही एक एजेंसी केमबॉन्ड को लगभग 80 लाख में काम सौंपा। दोनों एजेंसी के काम को परखने के बाद तीसरी एजेंसी आयन एक्सचेंज को 54 लाख प्रतिमाह में दो महीने के लिए वाटर ट्रीटमेंट की जिम्मेदारी दी गई। अब चौथी बार में फिर केमबॉन्ड को लगभग 32 लाख महीने में शहर को साफ पानी पिलाने की जिम्मेदारी दी है।
निवृर्तमान पार्षद नीरज पाल सेक्टर-5 के अपने रहवासियों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति करवा रहा है। पैकेज ड्रिकिंग वाटर वितरण केंद्र के कर्मी ने बताया कि जून-जुलाई में रोजाना लगभग 700 केन पानी सप्लाई होती थी। सितंबर में यह घटकर 100-150 पर आ गया था। पिछले तीन दिन से लोगों की भीड़ फिर बढ़ 300 के करीब पहुंच गई है। एक अन्य एजेंसी के संचालक ने बताया कि टाउनशिप में पानी की डिमांड अचानक से फिर बढ़ गई है। पहले 60 केन के दो फेर लगाते थे। अब चार फेरे लगाने पड़ रहे हैं।
0. फिल्टर बेड की सफाई और संधारण किया गया है।
0. कोगुलेशन टैंक की सफाई नियमित की जा रही है।
0. पूरे फिल्टर प्लांट के अपग्रेडेशन की प्रक्रिया जारी है। चर्चा, चि_ी की औपचारिकता निभा खामोश हो गए जिम्मेदार
सांसद की हिदायत बेमतलब-
सांसद विजय बघेल ने 27 अप्रैल को व्यवस्था सुधारने के निर्देश बीएसपी प्रबंधन को दिए थे। बाद में 3 जून को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया।
विधायक देवेंद्र यादव ने 29 जुलाई को विधानसभा में गंदे पानी का मुद्दा उठाया। इस्पात मंत्री और सेल चेयरमैन तक से मिला। कलेक्टर का पत्र भी बेअसर-
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने 14 जुलाई को बीएसपी प्रबंधन को पत्र लिखा। कहा था समस्या की जड़ पर काम करें। फिल्टर प्लांट को अपडेट करें।
ं भिलाई निगम के पूर्व आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने 29 मई को प्रबंधन को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि सप्लाई होने वाला पानी अशुद्ध है। इसकी टर्बिडिटी अधिक है। पानी का रंग मटमैला है। इसे तत्काल सुधारें नहीं तो महामारी एक्ट 1987 यथा संशोधित 2020 प्रदत्त शक्तियों के तहत बीएसपी पर कार्रवाई की जाएगी। 20 अक्टूबर को निगम आयुक्त प्रकाश कुमार सर्वे ने फिर चि_ी लिखी। टाउनशिप में अविलंब स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने और इस संबंध में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी मांगी।