scriptभिलाई निगम: 23 करोड़ का सफाई ठेका पसंद की एजेंसी को देने पर छिड़ा कोल्ड वार, अधिकारी और MIC आमने-सामने | Dispute over cleanliness contract worth 23 crores in Bhilai Nagar | Patrika News

भिलाई निगम: 23 करोड़ का सफाई ठेका पसंद की एजेंसी को देने पर छिड़ा कोल्ड वार, अधिकारी और MIC आमने-सामने

locationभिलाईPublished: Oct 24, 2020 06:23:25 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

नगर निगम भिलाई में 23 करोड़ 21 लाख 52 हजार रुपए का सफाई ठेका पसंद की एजेंसी को दिलवाने को लेकर बड़ा दांव-पेंच चल रहा है। कुछ नियम व शर्तों के कारण इसका टेंडर पहले ही विवादित था।

भिलाई निगम: 23 करोड़ का सफाई ठेका पसंद की एजेंसी को देने पर छिड़ा कोल्ड वार, अधिकारी और MIC आमने-सामने

भिलाई निगम: 23 करोड़ का सफाई ठेका पसंद की एजेंसी को देने पर छिड़ा कोल्ड वार, अधिकारी और MIC आमने-सामने

भिलाई. नगर निगम भिलाई में 23 करोड़ 21 लाख 52 हजार रुपए का सफाई ठेका पसंद की एजेंसी को दिलवाने को लेकर बड़ा दांव-पेंच चल रहा है। कुछ नियम व शर्तों के कारण इसका टेंडर पहले ही विवादित था। बात राज्य शासन तक भी पहुंची। अब जब टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, तो एक और नया विवाद जुड़ गया है। 12 अक्टूबर को हुई महापौर परिषद बैठक में सदस्यों ने सफाई ठेके की पूरी सातों निविदाओं को निरस्त करने का फैसला किया था। स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी लक्ष्मपीति राजू सहित परिषद के कई सदस्यों ने इस बात की पुष्टि भी की है। मगर एमआईसी के इस फैसले से अधिकारी हडबड़ा गए। वे प्रस्ताव निरस्त होने की बात तो दूर, एमआईसी में प्रस्तुत होने से ही से इनकार कर रहे हैं।
महापौर परिषद की बैठक के एजेंडे में चंद्रा मौर्या टॉकीज के सामने कब्जे के आधार पर आवंटित भूमि, राजस्व अधिकारी के पद पर पदोन्नति और शिक्षाकर्मियों के नियमितीकरण तीन विषय थे। परिषद के सदस्यों के मुताबिक इसके बाद एजेंडे के इतर अन्य विषय में चारों जोन 1 से 4 में सफाई से संबंधित सात प्रस्ताव चर्चा के लिए रखे गए। परिषद ने यह कहकर कि न्यूनतम दर वाले ठेकेदार ने नियम व शर्तों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 का 3 करोड़ का वार्षिक टर्न ओवर का वित्तीय क्षमता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है, निविदा को निरस्त कर दिया।
एक साल तक शहर की सफाई के लिए बुलाई गई निविदा
नगर निगम ने पूरे शहर की एक साल तक सफाई के लिए सभी जोन में स्कोप ऑफ वर्क के अंतर्गत नाली, सड़क, बाजार एवं तिपहिए रिक्शे/ई रिक्शा से आवासीय एवं व्यावसायिक क्षेत्र से डोर-टू डोर कचरा संग्रहण व अन्य सफाई कार्य के लिए सात अलग-अलग प्रस्ताव में कुल 24 करोड़ 18 लाख 87 हजार 881 रुपए की निविदा बुलवाई थी। चार ठेकेदारों ने निविदा में भाग लिया था।
निविदा तकनीकी परीक्षण समिति ने बताया दो को पात्र
निगम की निविदा तकनीकी परीक्षण समिति ने ग्वालियर की एसआरएमटी वेस्ट मैनजेमेंट प्राइवेट लिमिटेड और कांकेर के जय अंबे महिला स्व सहायता समूह के फिजिकल दस्तावेज को अपूर्ण बताया। पीवी रमन तालपुरी और नेचर ग्रीन टूल्स एंड मेक्रीकल प्राइवेट लिमिटेड नोएडा (उत्तरप्रदेश) को पात्र निविदादाता बताते हुए दोनों की निविदा को खोले जाने की अनुशंसा की थी। दोनों ठेकेदारों में नोएडा उत्तरप्रदेश की एजेंसी नेचर ग्रीन टूल्स एंड मेक्रीकल प्राइवेट लिमिटेड की दर क निविदा लागत से कम व न्यूनतम पाते हुए निविदा क्रय समिति ने इसकी मंजूरी दी। निविदा की वित्तीय एवं प्रशासकीय स्वीकृति के लिए प्रकरण महापौर परिषद की बैठक में रखा गया।
इन बातों को निष्कर्ष अब आप ही निकालिए

हां.. प्रस्ताव निरस्त कर दिया है
महापौर परिषद की बैठक में सफाई ठेके से संबंधित प्रस्ताव अन्य विषय में सचिव की ओर से रखे गए। सदस्यों को संक्षेपिका भी उपलब्ध करवाई गई। परिषद ने चर्चा करने के बाद प्रस्ताव निरस्त कर दिया।
लक्ष्मीपति राजू, प्रभारी स्वाथ्य विभाग एमआईसी
एमआईसी में तो प्रस्ताव रखा ही नहीं, इसकी जरूरत भी नहीं है
एमआईसी में तो प्रस्ताव रखा ही नहीं गया है। बैठक समाप्त होने के बाद अनौपचारिक चर्चा जरूर हुइ थी। 17 जुलाई 2020 को हुई बैठक में तो सामान्य सभा ने कोरोना महामारी को देखते हुए टेंडर व उसके नियम-शर्तों की अनुमति व प्रशासकीय स्वीकृति तथा निविदा में प्राप्त न्यूनतम दरदाता से कार्य कराए जाने की वित्तीय स्वीकृति देते हुए सर्वसम्मति से संकल्प पारित कर चुका है।
धर्मेंद्र मिश्रा, प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम
सुलगते सवाल—
1. क्या सामान्य सभा एक ही बार मेंं टेंडर की अनुमति, नियम-शर्तों की स्वीकृति, प्रशासकीय स्वीकृति और निविदा में प्राप्त न्यूनतम दरदाता से कार्य कराए जाने की वित्तीय स्वीकृति एक साथ दे सकता है? अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ है।
2. अगर नहीं तो सामान्य सभा में पारित इस संकल्प के लिए दोषी कौन है। सदन ने ऐसा निर्णय ले भी लिया तो क्या आयुक्त को पुनर्विचार के लिए नहीं भेजा जाना चाहिए? सचिव को भी नहीं चाहिए था कि वे संज्ञान में लाएं?
3. जैसा कि परिषद का आरोप है कि ठेकेदार ने ऑनलाइन टेंडर में चाहे गए वर्ष का वित्तीय क्षमता का उल्लेख नहीं किया है। जबकि निविदा तकनीकी परीक्षण समिति के प्रमुख कार्यपालन अभियंता बीके देवांगन का कहना है कि वांछित सभी फिजिकल दस्तावेज होने के बाद ही आगे की प्रक्रिया के लिए अनुशंसा की गई।
4. अगर सामान्य सभा से पहले की संपूर्ण मंजूरी मिल चुकी है और एमआईसी में प्रस्ताव रखना भी नहीं है तो इस विषय की संक्षेपिका क्यों बनाई गई? परिषद के सदस्यों को क्यों दिया गया?
5. एक ठेकेदार ने आयुक्त से लिखित शिकायत की थी कि निविदाकारों ने ऑनलाइन भरी निविदा में वित्तीय वर्ष 2019-20 के टर्न ओवर संबंधी शर्त की परिपूर्ति नहीं की है। नेचर ग्रीन ने 2018-19 का 27 करोड़ और रमन ने शून्य भरा है। तो क्या यह शिकायत झूठी थी?
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