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मध्यप्रदेश में खाद्य पदार्थ में मिलावट पर राजद्रोह का केस, अपने यहां किसी कोई सजा नहीं

locationभिलाईPublished: Oct 10, 2019 12:13:03 pm

Submitted by:

Tara Chand Sinha

– नौ महीने में 57 सैंपल लिए, 8 फेल, 13 की रिपोर्ट नहीं आई, दूध भी सुरक्षित नहीं
– जिला खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने होटल से जब्त किए एक्सपायरी डेट के खाद्य पदार्थ
– मिर्च पाउडर, गरम मसाला, पोहा, ब्रेड, मिक्चर में मिलावट

मध्यप्रदेश में खाद्य पदार्थ में मिलावट पर राजद्रोह का केस, अपने यहां आज तक कोई कार्रवाई नहीं

मध्यप्रदेश में खाद्य पदार्थ में मिलावट पर राजद्रोह का केस, अपने यहां आज तक कोई कार्रवाई नहीं

भिलाई. पड़ोसी मध्य प्रदेश में पिछले डेढ़ महीने में 31 मिलावटखारों की गिरफ्तारी हुई है और इन पर राजद्रोह का मुकादमा चलाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ सैंपल लेते हैं और छह महीने बाद रिपोर्ट में मिलावटखोरी की पुष्टि भी होती है तो जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता है। जिले में हर खाद्य पदार्थ में मिलावटखोरी हो रही है। दूध, पनीर, मावा, बेसन, मिर्च पावडर, गरम मसाला सहित कई खाद्य पदार्थ जांच में एक बार फिर खतरनाक मिले हैं। 1 जनवरी से 30 सितंबर तक खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने होटल, किराना दुकान, बेकरी, स्वीट्स शॉप, डेयरी सहित अन्य स्थानों से खाद्य पदार्थ के कुल 57 सैंपल लिए। इनमें से नौ सैंपल फेल हो गए। 13 सैंपल की रिपोर्ट अभी लेबोरेटरी से नहीं आई है। छत्तीसगढ़ सरकार की लैब से जो रिपोर्ट आई है, उसमें दूध भी मानक पर खरे नहीं उतरे हैं। मिर्च पाउडर, मिक्चर, ब्रेड, पोहा मिस ब्रांड साबित हुए हैं। जांच में निर्धारित खाद्य तत्व में कमी और उसे पूरा करने के लिए केमिकल का उपयोग ज्यादा मात्रा में करना पाया गया है।
होटल से जब्त किया दाल मखानी का सैंपल
जिला सहायक खाद्य नियंत्रक बीआर साहू और खाद्य सुरक्षा अधिकारी खीरसागर पटेल, नारद कोमरे की टीम ने बुधवार को मावा में मिलावट की आशंका पर दुर्ग के शांति स्वीट्स में दबिश दी। पेड़े का सैंपल लिए हैं। इसके अलावा शहीद चौक स्थित होटल कंबियन की जांच पड़ताल की। होटल के किचन में एक्सपायरी फ्रीजर में रखी हुई दाल मखानी का सैंपल एकत्र किया। होटल के कर्मचारियों ने दाल मखानी एक दिन पहले का पका हुआ बताया। इस वजह से खराब होने की आशंका पर टीम ने सैंपल लिया। इसके अलावा होटल के किचन में 8 अक्टूबर की पैकिंग तारीख के 12 पैकेट देवभोग का दूध, श्री आर्शीवाद खस्तापुरी का 5 पैकेट, लिज्जत पापड़ 7 पैकेट, टेस्टी ब्लैक सॉल्ट, एमबीपीएस माना नूडल्स के पैकेट को जब्त कर नष्ट किया। वहीं किचन डे्रनेज सिस्टम कवर्ड नहीं पाया गया। होटल के कर्मचारी एप्रान और ग्लब्स नहीं पहने थे। सभी सैंपल को जांच के लिए छत्तीसगढ़ शासन की लेबोरेटरी भेजा गया।
शिकायतें सही, जांच में सैंपल फेल

1.दूध/दुग्ध पदार्थ – दूध में स्टार्च, अधिक मात्रा में पानी, सिंथेटिक दूध, पनीर और मावा, वनस्पत्ति आयल से तैयार घी मानक पर खरे नहीं उतरे।
2.लाल मिर्च – मिर्च पाउडर को लाल दिखाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से सैंपल फेल हो गए।
3.गरम मसाला – गरम मसाला जैसा रंग और टेक्सचर लाने के लिए बुरादा, रंग और अन्य अन्य पौधों की पत्तियों को मिलाया जाता है। मानक पर खरे नहीं उतरे।
4.दाल – दालों को चमकता पीला बनाने के लिए मेटानिल येलो सिंथेटिक डाई का इस्तेमाल किया गया।
5.बेसन- बेसन में चावल और तुअर दाल के आटे को मिश्रित किया गया। इसके कारण इससे तैयार होने वाले मिक्चर मिस ब्रांड साबित हुए।
6.ब्रेड- निर्धारित मात्रा में तत्व नहीं मिले।

7.पोहा- क्वालिटी अच्छी नहीं होने की वजह से मिस ब्रांड साबित हुई।
मुनाफे के लिए इनमें भी मिलावट
धनिया और सौंफ – धनिया और सौंफ के दाने को हरा करने के लिए केमिकल का स्प्रे किया जाता है।

आटा – गेहूं के आटे में मैदा, ज्वार या जौ का आटा मिला दिया जाता है।
चावल- सुंगधित चावल के नाम पर सामान्य चावल में एसेंस मिलाकर अधिक दाम पर बेचते हैं।
केवल जुर्माना लेकर छोड़ दिया

पिछले चार सालों में मिलावटखोरों पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। कार्रवाई के नाम पर केवल जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया। आज तक कोई मिलावटखोर गिरफ्तार नहीं हुआ। किसी को कोई सजा नहीं हुआ। किसी भी प्रतिष्ठान को सील नहीं किया गया। पिछले चार सालों में सबसे अधिक जुर्माना सिर्फ 25 हजार रुपए एक मिलावटखोर पर लगा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने इस दौरान पूरे प्रदेश में 1859 सैंपल लिए थे, जिसमें से 864 फेल हो गए।
मुख्यमत्री से की शिकायत
कांग्रेस कार्यकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी ने मिलावटी दूध और दुग्ध उत्पाद को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। सर्वोत्तम आहार दूध के साथ मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है यहां घर पहुंच दूध की सेवा देने के नाम पर लोगों से छल किया जा रहा है
कानून सख्त, पर कार्रवाई नहीं

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2011 की धारा 50 के अंतर्गत 25 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। बगैर लाइसेंस (अनुज्ञप्ति) के खाद्य कारोबार करते हुए पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 63 के अंतर्गत 6 माह तक सजा और 5 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। इसके बावजूद जिले में किसी भी मिलावटखोर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
ये भी प्रावधान
मिस ब्रांडिंग : तीन लाख रुपए तक जुर्माना।

सब स्टैंडर्ड : निर्धारित मात्रा से कम तत्व मिलने पर पांच लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान।
भ्रामक विज्ञापन : विज्ञापन में शुद्घता का दावा करना। जांच में मिलावट मिला तो10 लाख रुपए तक जुर्माना।
सफाई : सफाई का अभाव (अनहाइजिन) गंदगी के बीच खाने की चीजें पकाने पर एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान।

मिलावटी खाद्य पदार्थ से कई शारीरिक समस्या- डॉ. गंभीर सिंह, सीएमएचओ, दुर्ग
– दूध, पनीर और खोवा में मिलावट से डाइजेस्टिव सिस्टम डैमेज होता है। लिवर, जॉइंट्स और किडनी से संबंधित बीमारियां होने लगती हैं। डायबिटीज और मोटापा बढ़ता है।
– गरम मसाले को रंगने वाले केमिकल सीधे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। पथरी की समस्या हो सकती है।

सीधी बात- बीआर साहू, सहायक खाद्य एवं औषधि नियंत्रक

सवाल- एक बार फिर मिलावटी खाद्य पदार्थ की जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई, आपने क्या एक्शन लिया?
जवाब- मिलावटी चीजें शहर में न बिके इसके लिए लगातार मॉनीटरिंग हो रही है। आज ही टीम ने 3-4 स्थानों से सैंपल एकत्र किया है। पिछले 9 महीने में टीम ने 57 सैंपल एकत्र किए थे। जो सैंपल फेल हुए, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रकरण तैयार किया गया है।
सवाल- पर सालभर के अंदर तो किसी पर विभाग ने कार्रवाई नहीं की है?
जवाब- विभाग ने 8 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है। सैंपल फेल होने पर संबंधित फर्म के खिलाफ प्रकरण तैयार एडीएम और सीजीएम के न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है। बुधवार को दो फर्म को नोटिस जारी किया गया है।
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