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मिलिए दिव्यांग साक्षी से, ये चल नहीं पाती, जुबान लडख़ड़ाती है, फिर भी कुपोषण से लडऩे छेड़ा है अनोखा जंग

locationभिलाईPublished: Sep 28, 2020 02:09:14 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

campaign against child malnutrition: कोरोना काल में जब लोग निराशा के भंवर में फंसते जा रहे हैं तब 14 साल की दिव्यांग साक्षी कुपोषण के प्रति सोशल मीडिया में अपनी आवाज बुलंद कर रही है।

मिलिए दिव्यांग साक्षी से, ये चल नहीं पाती, जुबान लडख़ड़ाती है, फिर भी कुपोषण से लडऩे छेड़ा है अनोखा जंग

मिलिए दिव्यांग साक्षी से, ये चल नहीं पाती, जुबान लडख़ड़ाती है, फिर भी कुपोषण से लडऩे छेड़ा है अनोखा जंग

दाक्षी साहू @भिलाई. कोरोना काल में जब लोग निराशा के भंवर में फंसते जा रहे हैं तब 14 साल की दिव्यांग साक्षी कुपोषण के प्रति सोशल मीडिया में अपनी आवाज बुलंद कर रही है। रीढ़ की हड्डी टेढ़ी होने की वजह से वह बचपन से चल नहीं पाती। इस संकट की घड़ी में अपने दर्द को भुलाकर चाहती है कि छत्तीसगढ़ का कोई भी बच्चा और किशोरी कुपोषण के आगे जिंदगी की जंग न हारे। इसलिए हर रोज अपनी लडखड़़ाती जुबान से वीडियो बनाकर गढ़बो सुपोषित छत्तीसगढ़ का संदेश देती है। निराशा में आशा की किरण खोजकर लोगों को कभी रंगोली तो कभी पेटिंग और कभी पोषण थाली सजाकर सुपोषण का महत्व बताती है। वो कहती है कि जब 99 फीसदी दिव्यांग होकर मैंने हार नहीं मानी तो आपके बच्चे कैसे कुपोषण से हार सकते हैं।
अपने ननिहाल भिलाई में जन्मी साक्षी फिलहाल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मां प्रतिमा गजभिये के साथ रायपुर में रहती है। साक्षी की इस पहल के चर्चा सबसे ज्यादा भिलाई में है। यहां अब तक सैकड़ों लोगों ने साक्षी के इस पॉजिटिव सोच को सलाम करते हुए सोशल मीडिया पर उसके वायरल वीडियो को शेयर किया है।
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चल रहा राष्ट्रीय पोषण महीना
छत्तीसगढ़ सहित देशभर में सितंबर महीना राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। कोरोना महामारी के चलते इस बार प्रदेश में गर्भवती महिलाएं, किशोरी बालिकाओं और बच्चों को डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए ही पोषण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। ऐसे में अपने हर काम के लिए मां पर निर्भर साक्षी वीडियो संदेश और तकनीक के जरिए मां की ही आवाज बन गई है। अपने छोटे भाई अभय के साथ रोजाना एक अनोखा वीडियो बनाती है। ताकि लोग कुपोषण के गंभीर परिणामों से अवगत हो सके। हर साल हमारे देश में हजारों बच्चे गंभीर कुपोषण के कारण बेमौत मर जाते हैं।
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