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पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें ये काम नहीं तो चली जाती है परिवार की सुख-शांति

locationभिलाईPublished: Sep 24, 2021 05:14:01 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

Pitru Paksha: हिंदू धर्म में पितृपक्ष में पितरों की पूजा और पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है। इस साल 21 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो गया है और 6 अक्टूबर तक चलेगा।

पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें ये काम नहीं तो चली जाती है परिवार की सुख-शांति

पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें ये काम नहीं तो चली जाती है परिवार की सुख-शांति

भिलाई. हिंदू धर्म में पितृपक्ष में पितरों की पूजा और पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है। इस साल 21 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो गया है और 6 अक्टूबर तक चलेगा। ऐसी मान्यता है कि इस पक्ष में पितर यमलोक से धरती पर आते हैं। अपने परिवार के आसपास विचरण करते हैं। श्राद्ध कर्म करने से पितरों की तृप्ति के लिए भोजन करवाया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके। पितर तृप्त होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद अपने परिजवार को दे सकें। शास्त्रों में पितरों को भी देवताओं की तरह माना गया है। पितर भी देवताओं की तरह आशीर्वाद देते हैं, जिससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। ये नाराज भी होते हैं, जिससे जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस पवित्र पक्ष में कुछ ऐसे कार्य हैं, जिनको नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पितरों की आत्मा नाराज हो जाती है। परिवार पर दोष लग जाता है।
पूर्वजों को नहीं मिलती मृत्युलोक में जगह
पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण विधि किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों की पूजा न करने से पूर्वजों को मृत्युलोक में जगह नहीं मिलती। उनकी आत्मा भटकती रहती है। जिससे पितर नाराज होते हैं और कई दोष लगते हैं। इसलिए पितृपक्ष में तर्पण विधि और श्राद्ध कर्म किया जाता है।
पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें ये काम नहीं तो चली जाती है परिवार की सुख-शांति
घर में न करें कोई भी शुभ कार्य
पितृ पक्ष पितरों को याद और उनकी पूजा करने का समय है। इसलिए परिवार में एक तरफ से शोकाकुल माहौल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। नई वस्तु की खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना अशुभ बताया गया है।
लोहे के बर्तनों का नहीं करना चाहिए प्रयोग
भूलकर भी पितृ पक्ष में लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि पितरों के लिए जो भोजन तैयार किया जाता है या फिर जिसमें भोजन परोसा जाता है, उसमें लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं। परिवार की सुख-शांति और समृद्धि पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए इस दौरान आप तांबा, पीतल या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग कर सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
पितृपक्ष में अगर पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे हैं तो शरीर पर तेल का प्रयोग और पान का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही अगर संभव हो सके तो दाढ़ी और बाल भी नहीं कटवाने चाहिए और इस दौरान इत्र का प्रयोग करना भी शास्त्रों में वर्जित माना गया है। ऐसा करने से पितर नाराज होते हैं, जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसा भोजन नहीं करना चाहिए
पितृपक्ष के समय हमेशा सात्विक भोजन करना उत्तम माना गया है क्योंकि इसी भोजन से पितरों का भोग लगाया जाता है। भूलकर भी प्याज व लहसुन से बने भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद नहीं है तो पितृ पक्ष के अंतिम दिन पिंडदान या तर्पण विधि कर पूजा-अर्चना कर सकते हैं। ऐसा करने से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
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