अब तक 10 बच्चे स्वस्थ्य होकर घर लौटे
ज्ञात रहे इस जच्चा-बच्चा केंद्र को खुले अभी महज दो ही महीने हुए हैं, पर दो माह में ही केंद्र के अत्याधुनिक उपकरणों और बेहतर देखभाल व इलाज की बदौलत अब तक 10 ऐसे गंभीर नवजात बच्चे जो जिंदगी की जंग लड़ रहे थे को नया जीवन मिला है। इस केंद्र से अब तक 10 बच्चे स्वस्थ्य होकर घर लौटे हैं। इस सुविधा पर लोगों का विश्वास अस्पताल पर बढऩे लगा है। इसी का परिणाम है कि जिला मुख्यालय के जच्चा-बच्चा केंद्र में लोग गंभीर नवजातों का इलाज कराने लाने लगे हैं।
ज्ञात रहे इस जच्चा-बच्चा केंद्र को खुले अभी महज दो ही महीने हुए हैं, पर दो माह में ही केंद्र के अत्याधुनिक उपकरणों और बेहतर देखभाल व इलाज की बदौलत अब तक 10 ऐसे गंभीर नवजात बच्चे जो जिंदगी की जंग लड़ रहे थे को नया जीवन मिला है। इस केंद्र से अब तक 10 बच्चे स्वस्थ्य होकर घर लौटे हैं। इस सुविधा पर लोगों का विश्वास अस्पताल पर बढऩे लगा है। इसी का परिणाम है कि जिला मुख्यालय के जच्चा-बच्चा केंद्र में लोग गंभीर नवजातों का इलाज कराने लाने लगे हैं।
12 करोड़ की लागत से जच्चा-बच्चा केंद्र का निर्माण
बता दें कि जिला मुख्यालय में जिला अस्पताल के पास ही 12 करोड़ की लागत से जच्चा-बच्चा केंद्र का निर्माण किया गया है, जिसका उद्घाटन 29 दिसंबर 2017 को किया गया था। उद्घाटन के बाद तो अब ये केंद्र गंभीर नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां बच्चों के लिए विशेष अस्पताल खुलने से नवजातों की मौत की संख्या में कमी आएगी, बल्कि नवजातों के बेहतर इलाज की सुविधा भी मिल रही है।
बता दें कि जिला मुख्यालय में जिला अस्पताल के पास ही 12 करोड़ की लागत से जच्चा-बच्चा केंद्र का निर्माण किया गया है, जिसका उद्घाटन 29 दिसंबर 2017 को किया गया था। उद्घाटन के बाद तो अब ये केंद्र गंभीर नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां बच्चों के लिए विशेष अस्पताल खुलने से नवजातों की मौत की संख्या में कमी आएगी, बल्कि नवजातों के बेहतर इलाज की सुविधा भी मिल रही है।
जिले के लिए यह पहला यूनिट सीक न्यू बोर्न केयर यूनिट खासकर उन नवजात बच्चों के लिए जीवनदायक होता है जिनका जन्म समय के पूर्व हो जाता है। इसमे 0 से लेकर 28 दिन तक के ऐसे बच्चों को रखकर इलाज किया जाता हैं जिनकी स्थिति नाजुक होती है। यानि जन्म के बाद काफी कमजोर होता है। वजन कम और शरीर दुबला पतला होता है। यह यूनिट जिले के लिए पहला यूनिट है। इसके शुरू होने से जिले के मरीज एवं परिजन को काफी लाभ होगा। वहीं गरीब व असहाय लोगों को नि:शुल्क बेहतर इलाज मुहैया होगा।
प्रीमैच्योर बच्चों का इलाज अब जिला मुख्यालय में ही
बालोद कलक्टर डॉक्टर सारांश मित्तर के अथक प्रयास से प्रीमैच्योर बच्चों का इलाज अब जिला मुख्यालय में ही होगा। पूर्व तक यह व्यवस्था न होने के कारण प्रीमैच्योर बच्चों के इलाज को लेकर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। कई बार तो इलाज के लिए अन्य जिलों में इलाज के लिए ले जाए जा रहे बच्चे त्वरित इलाज न मिलने के साथ संक्रमण होने के चलते अस्पताल पहुंचने के पहले ही दम तोड़ दिया करते थे, पर अब इस बेहतर चिकित्सक और उपकरण से जिले में शिशु मृत्यु दर कम होगी।
बालोद कलक्टर डॉक्टर सारांश मित्तर के अथक प्रयास से प्रीमैच्योर बच्चों का इलाज अब जिला मुख्यालय में ही होगा। पूर्व तक यह व्यवस्था न होने के कारण प्रीमैच्योर बच्चों के इलाज को लेकर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। कई बार तो इलाज के लिए अन्य जिलों में इलाज के लिए ले जाए जा रहे बच्चे त्वरित इलाज न मिलने के साथ संक्रमण होने के चलते अस्पताल पहुंचने के पहले ही दम तोड़ दिया करते थे, पर अब इस बेहतर चिकित्सक और उपकरण से जिले में शिशु मृत्यु दर कम होगी।
अगले पेज में भी पढ़ें खबर