scriptगरीबी के आगे सपनों ने नहीं टेके घुटने, सरकारी स्कूल में पढ़कर मैकेनिक की बेटी बनेगी गांव की पहली डॉक्टर | Doctor will be the daughter of poor mechanic in Durg district | Patrika News

गरीबी के आगे सपनों ने नहीं टेके घुटने, सरकारी स्कूल में पढ़कर मैकेनिक की बेटी बनेगी गांव की पहली डॉक्टर

locationभिलाईPublished: Nov 25, 2020 05:48:53 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

चौथी पास मां वीना और आईटीआई तक पढ़े पिता रमेश के सपनों को पंख देने वाली खुशबू कॉर्डियोलॉजिस्ट बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती है।

गरीबी के आगे सपनों ने नहीं टेके घुटने, सरकारी स्कूल में पढ़कर मैकेनिक की बेटी बनेगी गांव की पहली डॉक्टर

गरीबी के आगे सपनों ने नहीं टेके घुटने, सरकारी स्कूल में पढ़कर मैकेनिक की बेटी बनेगी गांव की पहली डॉक्टर

दाक्षी साहू @भिलाई. गरीबी अच्छे-अच्छों का सपना तोड़ देती है पर पेशे से मैकेनिक पिता ने विषम परिस्थितियों में भी अपनी बेटी के डॉक्टर बनने के सपने को टूटने नहीं दिया। आर्थिक तंगी के बावजूद बेटी के अंदर ऐसा जुनून भरा कि 19 साल की खुशबू कुर्रे न सिर्फ अपने घर बल्कि अपने गांव गोड़पेंड्री की भी पहली डॉक्टर बनने जा रही है। ये कहानी है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन के अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव की बेटी की। जिसने पहले प्रयास में असफल होने के बाद भी मेहनत करना नहीं छोड़ा। कोरोनाकाल के बीच दूसरे प्रयास में बेहद कठिन माने जाने वाले नीट परीक्षा क्वालिफाई किया। अब वह राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई करेगी। एक कमरे के तंग मकान में रहने वाली छात्रा की पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो इसलिए परिवार ने पिछले सात महीने से टीवी तक नहीं देखा है।
नहीं थे फीस भरने के पैसे तब साइलेंट हीरो बने दो नेक दिल इंसान
खुशबू के लिए एमबीबीएस की सीट हासिल करने तक का ये सफर चुनौतियों से भरा था। एक वक्त ऐसा भी आया जब फीस भरने तक के पैसे परिवार के पास नहीं थे। ऐसे में समाज के साइलेंट हीरो बनकर दो नेक दिल लोगों ने प्रतिभाशाली छात्रा के लिए मदद का हाथ बढ़ाया। सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर चिरंजीवी जैन ने खुशबू को भिलाई में दो साल फ्री कोचिंग दी तो दूसरे ने हर उस जगह आर्थिक मदद की जहां खुशबू को पैसों की जरूरत थी। रोजाना 8 घंटे पढ़ाई करके होनहार बेटी भी आखिरकार अपने मंजिल तक पहुंच ही गई।
अपनी मेहनत पर किया भरोसा, डिप्रेशन में काउंसलिंग आया काम
चौथी पास मां वीना और आईटीआई तक पढ़े पिता रमेश के सपनों को पंख देने वाली खुशबू कॉर्डियोलॉजिस्ट बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती है। खुशबू कहती है कि हर किसी को सपने देखने का अधिकार है। मैं गांव की हूं आगे नहीं बढ़ पाऊंगी या मैं गरीब हूं कैसे ये सब होगा, ये सोचने की बजाय हमें अपनी मेहनत पर भरोसा करना चाहिए। लोग कई बार आपके सपनों पर हंसते है। इन बातों को नजर अंदाज करके सिर्फ मेहनत और दृढ़ संकल्प विश्वास किया। पहले अटेंप्ट में नाकाम होने के बाद दूसरी बार फिर प्रयास किया और क्वालीफाई हो गई। दो साल के ड्रॉप में कई बार डिप्रश्ेान में भी गई। इस दौरान सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीवी जैन की काउंसलिंग काफी काम आई।
हिंदी मीडियम से की पढ़ाई पर अंग्रेजी को नहीं बनने दिया रोड़ा
दुर्ग जिले के गोड़पेंड्री गांव के सरकारी स्कूल में 12 वीं पास करके जब खुशबू ने नीट की तैयारी शुरू की तो उसके लिए अंग्रेजी रोड़ा बनने लगी थी। ऐसे में खुशबू ने अंग्रेजी की रोजाना पैक्टिस करके इस फोबिया को भी खुद से दूर भगा दिया। नीट में छत्तीसगढ़ में 1822 रैंक हासिल करने वाली छात्रा कहती है कि अंग्रेजी को हिंदी मीडियम के स्टूडेंट दिमाग में हावी कर लेते हैं इसलिए कहीं न कहीं वे प्रतियोगिता में पीछे रह जाते हैं। मेहनत की जाए तो अंग्रेजी भी ङ्क्षहदी की तरह आसान बन जाती है।
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