डॉ अलेक्जेंडर ने बताया कि कई देशों में सिकलसेल को लेकर काफी जागरूकता है। इसलिए वे समय पर इस स्थिति को पहचान पाते हैं,लेकिन इंडिया में खासकर ग्रामीण क्षेत्र में अब भी इसे लेकर लोगों में जागरुकता कम है। उन्होंने बताया कि वे हैदराबाद और दिल्ली से होकर भिलाई पहुंचे हैं। भारत में रिसर्च करने के बाद वे वापस लंदन पहुंच जाएंगे। उन्होंने बताया कि सिकलसेल से लडऩे परिवार का साथ सबसे ज्यादा जरूरी है जो इंडिया में नजर आता है। जबकि ब्राजील जैसे देश में डॉक्टर रंगभेद कर इलाज करते हैं। यहां उन्हें लगता है कि वे गोरे लोगों का इलाज करेंगे तो उन्हें भी यह बीमारी हो जाएगी।
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