सड़क पर एक्सीडेंट हो जाए तो लोगों को गाडिय़ां रोकने में भी भय लगता है। टेक्नोलॉजी ने युवा वर्ग की सोच बदल दी है, उन्हें इंसानियत से दूर किया है। डॉ. आमटे ने आगे कहा कि हमारे युवा चांद पर जाने की सोच रख रहे हैं, लेकिन उन्हें जमीन की भी सोचनी होगी।@Patrika उनकी मदद करनी होगी, जिन्हें वास्तव में जरूरत है। गरीबों की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करनी होगी।
क्या आदिवासी समाज के जीवन स्तर में सुधार आया तो हंसते हुए बोले, आदिवासी का जीवन स्तर बिगड़ा ही कब था। ४५ साल उनके साथ बिताकर इतना समझा है कि वन्य अंचल का आदिवासी कभी चोरी नहीं करता। @Patrika अपनी समस्या का समाधान उसके पास मौजूद है। दरअसल, बाहरी लोगों ने उन्हें कमजोर की संज्ञा दी। वे जानवरों का शिकार पेट की भूख मिटाने के लिए करते हैं, मनोरंजन को नहीं।
इस समाजसेवी पति-पत्नी ने अपने ही घर के पिछवाड़े में वन्यजीवों की शरणस्थली बना रखी है, जहां पर दोनों ही अपने वन्य प्राणियों के साथ दशकों से रहते हैं। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के हेमलकासा गांव में रहने वाले ये दंपती देश के प्रसिद्ध समाजसेवी बाबा (मुरलीधर) आमटे के पुत्र और पुत्रवधू हैं। @Patrika यहां रहकर वे आदिवासी लोगों और स्थानीय वन्य पशु संपदा का भी संरक्षण कर रहे हैं।
आदिवासियों के एक झुंड ने शिकार किया। उनके हाथों में मृत बंदरों का एक जोड़ा था और उनका बच्चा जीवित था और अपनी मां का दूध पीने की कोशिश कर रहा था। इस घटना ने आमटे परिवार का जीवन बदल दिया।@Patrika डॉ. प्रकाश ने उनसे कहा कि अगर वे उन्हें बंदर का बच्चा देंगे तो वे उन्हें बदले में चावल और कपड़े दे देंगे। अपने डॉक्टरी के पेशे कहीं ज्यादा बढ़कर समाजसेवा वन्यजीवों के संरक्षण को तरजीह दी।