भिलाई

मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डॉ आमटे बोले : आज की युवा पीढ़ी में इंसानियत हो रही है खत्म

डॉ. प्रकाश आमटे ने कहा कि हमारी यंग जनरेशन में करुणा खत्म हो रही है। मैंने देखा है कि जब कभी एक्सीडेंट होता है तो हमारे युवा मोबाइल निकालकर पहले उसका वीडियो बना वॉट्सएेप पर वायरल करते हैं, लेकिन उसकी ओर मदद का हाथ नहीं बढ़ाते।

भिलाईFeb 11, 2019 / 11:22 am

Satya Narayan Shukla

मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डॉ आमटे बोले : आज की युवा पीढ़ी में इंसानियत हो रही है खत्म

भिलाई@Patrika. आप सोचकर हैरान होंगे कि कैसे यह शख्स वन्य जीवों के साथ उठता-बैठता है। शेर और चीते उनके हाथों से खाना खाते हैं। जंगल के बीच बने घर में मगरमच्छ और तेंदुआ उनके साथ अठखेलियां करता है। हर कोई जानवरों का दोस्त कहकर पुकारता है। हम बात कर रहे हैं पेश से एक डॉक्टर और प्रसिद्ध समाजसेवी महाराष्ट्र के डॉ. प्रकाश आमटे की। उन्हें 2002 में ‘पद्मश्रीÓ और 2008 में ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कारÓ भी मिल चुका है। रविवार को वे अपनी पत्नी डॉ. मंदाकिनी आमटे के साथ भिलाई में थे। यहां उनके विशिष्ठ कार्यों के लिए प्रजापति ब्रह्म्कुमारी ईश्वरीय विवि ने उनका सम्मान किया। पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने युवाओं को बड़ी सीख दी। डॉ. प्रकाश आमटे ने कहा कि हमारी यंग जनरेशन में करुणा खत्म हो रही है। मैंने देखा है कि जब कभी एक्सीडेंट होता है तो हमारे युवा मोबाइल निकालकर पहले उसका वीडियो बना वॉट्सएेप पर वायरल करते हैं, लेकिन उसकी ओर मदद का हाथ नहीं बढ़ाते।
हमारे युवाओं में खत्म हो रहा इमोशन
सड़क पर एक्सीडेंट हो जाए तो लोगों को गाडिय़ां रोकने में भी भय लगता है। टेक्नोलॉजी ने युवा वर्ग की सोच बदल दी है, उन्हें इंसानियत से दूर किया है। डॉ. आमटे ने आगे कहा कि हमारे युवा चांद पर जाने की सोच रख रहे हैं, लेकिन उन्हें जमीन की भी सोचनी होगी।@Patrika उनकी मदद करनी होगी, जिन्हें वास्तव में जरूरत है। गरीबों की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करनी होगी।
 

बाहरी ने आदिवासियों को बनाया कमजोर
क्या आदिवासी समाज के जीवन स्तर में सुधार आया तो हंसते हुए बोले, आदिवासी का जीवन स्तर बिगड़ा ही कब था। ४५ साल उनके साथ बिताकर इतना समझा है कि वन्य अंचल का आदिवासी कभी चोरी नहीं करता। @Patrika अपनी समस्या का समाधान उसके पास मौजूद है। दरअसल, बाहरी लोगों ने उन्हें कमजोर की संज्ञा दी। वे जानवरों का शिकार पेट की भूख मिटाने के लिए करते हैं, मनोरंजन को नहीं।
घर में बना रखी है शेरों की शरणस्थली
इस समाजसेवी पति-पत्नी ने अपने ही घर के पिछवाड़े में वन्यजीवों की शरणस्थली बना रखी है, जहां पर दोनों ही अपने वन्य प्राणियों के साथ दशकों से रहते हैं। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के हेमलकासा गांव में रहने वाले ये दंपती देश के प्रसिद्ध समाजसेवी बाबा (मुरलीधर) आमटे के पुत्र और पुत्रवधू हैं। @Patrika यहां रहकर वे आदिवासी लोगों और स्थानीय वन्य पशु संपदा का भी संरक्षण कर रहे हैं।
इस किस्से ने बदल दी जिदंगी
आदिवासियों के एक झुंड ने शिकार किया। उनके हाथों में मृत बंदरों का एक जोड़ा था और उनका बच्चा जीवित था और अपनी मां का दूध पीने की कोशिश कर रहा था। इस घटना ने आमटे परिवार का जीवन बदल दिया।@Patrika डॉ. प्रकाश ने उनसे कहा कि अगर वे उन्हें बंदर का बच्चा देंगे तो वे उन्हें बदले में चावल और कपड़े दे देंगे। अपने डॉक्टरी के पेशे कहीं ज्यादा बढ़कर समाजसेवा वन्यजीवों के संरक्षण को तरजीह दी।
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