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भिलाई

साडिय़ों में भारतीय संस्कृति की अनोखी झलक दिखाने वाली ये है डॉ. सोनाली, ब्लॉग लिखकर दुनिया को दिखा रही इसकी खूबसूरती

अपने वार्ड रोब में लगभग 5 हजार से ज्यादा साडिय़ों का कलेक्शन रखने वाली डॉ. सोनाली साडिय़ों पर ब्लॉग लिखकर उसे सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया के सामने अपने नजरिए से प्रस्तुत कर रही है।

भिलाईJan 23, 2022 / 01:14 pm

Dakshi Sahu

साडिय़ों में भारतीय संस्कृति की अनोखी झलक दिखाने वाली ये है डॉ. सोनाली, ब्लॉग लिखकर दुनिया को दिखा रही इसकी खूबसूरती

साडिय़ों में भारतीय संस्कृति की अनोखी झलक दिखाने वाली ये है डॉ. सोनाली, ब्लॉग लिखकर दुनिया को दिखा रही इसकी खूबसूरती

दाक्षी साहू राव@ भिलाई. साड़ी एक ऐसा भारतीय परिधान है जिसे पहनकर न सिर्फ भारतीय संस्कृति झलकती है, बल्कि हर महिला के जीवन की हजारों किस्से, कहानियां, तीज-त्योहारों और परंपराओं की यादें भी जुड़ी होती है। आधुनिक जीवन में जब पश्चिमी परिधान की तरफ भारत का युवा ज्यादा आकर्षित हो रहा है, ऐसे में मिनी इंडिया भिलाई की डॉ. सोनाली चक्रवती साडिय़ों का क्रेज बरकार रखने अनोखा अभियान चला रही है। अपने वार्ड रोब में लगभग 5 हजार से ज्यादा साडिय़ों का कलेक्शन रखने वाली डॉ. सोनाली साडिय़ों पर ब्लॉग लिखकर उसे सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया के सामने अपने नजरिए से प्रस्तुत कर रही है।
देश के हर राज्य की प्रसिद्ध साडिय़ों का रखा है कलेक्शन
डॉ. सोनाली अपने ब्लॉग में देश के अलग-अलग राज्यों की प्रसिद्ध साडिय़ों को पहनकर उनकी विशेषता और परंपराओं को शब्दों में पिरोती हैं। उन्होंने इसके लिए देश के सभी राज्यों की प्रसिद्ध साडिय़ों का कलेक्शन भी रखा है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात से आसाम तक हर वैराइटी की साड़ी जैसे कश्मीरी सिल्क, भागलपुरी, लखनऊ चिकन, बंगाल की बालचेरी, गुजरात की बांधनी, यूपी की बनारसी, चेन्नई की कांजीवरम, आसाम की मेखला, छत्तीसगढ़ के बस्तर की कोसा सिल्क,ओडिसा की बोमकाई सहित अन्य प्रसिद्ध साडिय़ां इनके घर की शोभा बढ़ाती है। लगभग 50 से ज्यादा तरीकों से साड़ी पहनने का हुनर भी सीखा है। 6 मीटर की साड़ी में वे हर राज्य की अनोखी परंपराओं को बड़ी खूबसूरती से लोगों के सामने ला रही हैं।
साडिय़ों में भारतीय संस्कृति की अनोखी झलक दिखाने वाली ये है डॉ. सोनाली, ब्लॉग लिखकर दुनिया को दिखा रही इसकी खूबसूरती
दुनिया का सबसे खूबसूरत परिधान साड़ी
देशभर की लगभग 1000 विवाहित महिलाओं को स्वयंसिद्धा नामक संस्था बनाकर जोडऩे वाली डॉ. सोनाली कहती हैं कि नई पीढ़ी भारतीय परिधान से मुंह मोडऩे की जगह उससे प्यार करना सीखे। साड़ी के बिना भारतीय जीवन को अनुभव करना बहुत मुश्किल है। ये एक ऐसी पोशाक है जिससे हर महिला के दिल के जज्बात जुड़े होते हैं। साड़ी का आंचल बच्चे को ममता का एहसास कराता है वहीं पल्लू, विवाह बंधन को मजबूती से बांधता है। हमारी सनातन संस्कृति का ऐसा कोई संस्कार नहीं जिससे साड़ी और इसकी अहमियत न जुड़ी हो। यही कारण है कि वैश्विक सर्वे में महिला परिधानों की खूबसूरती में भारतीय साड़ी को दुनिया का सबसे खूबसूरत परिधान माना गया है। इसलिए हर जगह मैं साड़ी पहनकर जाती हूं, इसे पहनते ही एक अलग आत्मविश्वास मन में जागता है। सबसे मजेदार बात है इसे छोटी, मोटी, पतली, दुबली, काली, गोरी कोई भी महिला पहने हमेशा खूबसूरत लगती है। बाकी परिधानों की तरह फिटिंग का भी टेंशन नहीं होता।
नारीतत्व का पहचान कराती है साड़ी
मैं मानती हूं कि साड़ी पहनने में वक्त ज्यादा लगता हैं…उसके रख रखाव में भी वक्त ज्यादा लगता हैं…उसे संभालने में भी वक्त लगता हैं..इसलिए आजकल की नई पीढ़ी साड़ी से ज्यादा दूसरे ड्रेसेस को तवज्जो देने लगी हैं…लेकिन इसके बावजूद भी साड़ी की गरिमा भारत में न पहले कभी कम हुई, न आज कम हैं और न ही भविष्य में कभी कम हो सकती है। वास्तव में नारी साड़ी में जितनी सुंदर दिखती हैं, उतनी दूसरे किसी भी परिधान में नहीं दिखती। यदि स्मार्टनेस का पैमाना सुंदरता रखा जाए तो साड़ी सबसे स्मार्ट परिधान है। जिसे आप जितने चाहे उतने तरीके से पहन सकते हैं। बॉलीवुड फिल्में इसका साक्षात प्रमाण है।

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