हादसे के बाद बढ़ा दिए थे एंबुलेंस की संख्या
भिलाई इस्पात संयंत्र में 12 जून 2014 को गैस हादसा हुआ था। जिसके बाद मेन मेडिकल पोस्ट में दो एंबुलेंस 24 घंटे चालक, सहचालक के साथ मौजूद तैनात की गई। तब से यहां दो एंबुलेंस 24 घंटे साथ में चालक, सह चालक मौजूद रहते हैं।
चालक व सह चालक को संयंत्र से किया बाहर
मंगलवार को संयंत्र के मेन मेडिकल पोस्ट में मौजूद एंबुलेंस चालकों व सह चालकों को प्रबंधन ने दोपहर में काम से बाहर कर दिया। प्रबंधन ने कहा कि गेट पास नहीं है, इस वजह से संयंत्र के बाहर रहो। अब इस बीच अगर संयंत्र में कोई भी हादसा हो जाता, तब घायल या झुलसे कर्मियों के लिए हर मिनट अहम होती है। प्रबंधन इन चालकों को मेनगेट से भीतर बुलाता और प्रक्रिया के बाद वे एंबुलेंस लेकर मौके पर पहुंचते, तब तक जान माल का नुकसान हो सकता था। इस बात की आशंका हर किसी को है, बावजूद इसके रिस्क लेकर एंबुलेंस जैसी आवश्यक सेवा के कर्मियों को गेट से बाहर किया गया।
दूसरी पाली वालों को भी नहीं दिया प्रवेश
प्रबंधन ने इसके बाद दूसरी पाली में 2 बजे पहुंचे एम्बुलेंस के चालकों व सहचालकों को प्रवेश नहीं दिया। वे भी शाम ६ बजे तक बाहर रहे। इसके बाद उनको एक गेट पास २५ अक्टूबर 2019 तक के लिए बना कर दिया गया।
35 कर्मियों को दिया जाना है गेटपास
बीएसपी के एंबुलेंस में काम कर रहे सभी 35 कर्मियों को संयंत्र के लिए गेटपास दिया जाना है। यह टेंडर के समय ही साफ रहता है, लेकिन प्रबंधन इस तरह के विषयों को शुरू में नरमी बरतता है और बाद में दिक्कत बढ़ जाती है।
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प्रोपेन प्लांट में गैस लिकेज पर हुआ मॉक ड्रिल
बीएसपी के प्रोपेन गैस प्लांट में गैस लीकेज पर सीआईएसएफ, बीएसपी ने संयुक्त मॉक ड्रिल किया। मॉक ड्रिल के एंफोर्समेंट कमेटी के अध्यक्ष अनिर्बान दासगुप्ता, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, बीएसपी रहे। इस मौके पर एएसपी रोहित झा, सीएसपी अजीत यादव, उप निदेशक, स्वास्थ्य एवं सेफ्टी, शासन मौजूद थे। इसके अलावा एनडीआरएफ के एके पटनायक टीम के साथ व बीएसपी से दमकल और मेडिककल की टीम और सीआईएसएफ के कमाण्डेंट एसके बाजपेयी, सहायक कमाण्डेंट, देबब्रत कर मौजूद थे।