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दुर्ग जिला की स्वास्थ्य व्यवस्था भी नौनिहालों की हिफाजत के मामले में फिसड्डी

locationभिलाईPublished: Oct 24, 2021 11:53:27 pm

धमधा में टूटा रिकार्ड एक दिन में करवाया पांच सिजेरियन डिलीवरी,

दुर्ग जिला की स्वास्थ्य व्यवस्था भी नौनिहालों की हिफाजत के मामले में फिसड्डी

दुर्ग जिला की स्वास्थ्य व्यवस्था भी नौनिहालों की हिफाजत के मामले में फिसड्डी

भिलाई. नौनिहालों की मौत को लेकर छत्तीसगढ़ में इस वक्त खासा बवाल मचा हुआ है। वहीं बता दें कि दुर्ग जिला भी इस मामले में अब तक फिसड्डी साबित हो रहा है। आंकड़ों की माने तो पिछले 6 माह के दौरान जिला में करीब 350 बच्चों की जान गई है। जिसमें जन्म लेने से पहले और नवजात दोनों शामिल हैं। विशेषज्ञों के माने तो इसके लिए असल में सबसे पहले वे जिम्मेदार हैं, जिनके घर नए मेहमान का आगमन होने वाला होता हैै। डिलीवरी से पहले प्रसुता को चिकित्सक की राय लेकर बेहतर भोजन देना चाहिए। जिससे वह और पेट में पल रहा बच्चा दोनों का सही ग्रोथ हो। इसको लेकर लापरवाही बरतने पर नुकसान होने की आशंका बनी रहती है।

235 से अधिक मौत
जिला में पिछले छह माह के दौरान 235 से अधिक नवजातों ने दम तोड़ा है। इसमें पैदा होने से लेकर 28 दिनों के भीतर वालों की सबसे अधिक जान गई है। इसके बाद वे नवजात हैं जिनकी उम्र 29 दिनों से एक साल के भीतर है। वहीं सबसे कम मौत एक साल से पांच साल के बीच के बच्चों की हुई है।

दुनिया देखने से पहले ही थम गई सांस
जिला में पिछले छह माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 135 ने अपनी मां की कोख में ही दम तोड़ दिया। सरकार आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार के घर में मौजूद गर्भवती भी कमजोर न रहे, इसके लिए मितानिनों, आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से उसे गर्भवती होने के बाद पंजीयन करवाते ही जांच के लिए अस्पताल भेजती है। इस तरह की जांच नौ माह के दौरान चार बार करवाया जाता है। इसके साथ-साथ सोनोग्राफी भी करवाया जाता है।

यह दिया जाता है गर्भवती को
मितानिन सुनिता दुबे के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिला को तीन माह होने पर आयरन और कैल्शियम की टेबलेट देता है। आंगन बाड़ी में आने पर हर दिन दोपहर में भोजन जिसमें दाल, चांवल, सब्जी, रोटी, अचार दिया जाता है। इसके अलावा रेडी टू इट पाउडर भी हर सप्ताह देते हैं। इसके अलावा सरकार की ओर से उनको 6 हजार रुपए और डिलीवरी के बाद ग्रामीण क्षेत्र में 14 सौ रुपए और शहरी एरिया में एक हजार रुपए दिया जाता है। गर्भवती महिला अगर शासन की योजना के तहत जो दिया जा रहा है, उसका सही सेवन करे और समय पर जांच करवाती रहे तो जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वास्थ्य रहेंगे।

नवजात की मौत के कई है कारण
डॉक्टर रोहित राम सोनी, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ, भिलाई ने बताया कि नवजात की मौत के कारण कई है, जैसे पैदा हुए बच्चों का वजन कम होना, निमोनिया, जन्मजात बीमारी। इसके साथ-साथ गर्भवती महिलाओं की लापरवाही भी बड़ी वजह होती है। वे पोषण आहार नहीं लेते जिसके कारण बच्चों का ग्रोथ समय के साथ नहीं हो पाता है।

धमधा में टूटा रिकार्ड एक दिन में करवाया पांच सिजेरियन डिलीवरी

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, धमधा में डिलीवरी को लेकर पिछला रिकॉर्ड टूटा है। पहले एक ही दिन में चार सिजेरियन प्रसव का रिकार्ड था, मंगलवार को धमधा के चिकित्सकों की टीम ने पांच सिजेरियन प्रसव करवा पांच ग्रामीण गर्भवती महिलाओं को अपने नगर में ही सेवा से लाभाविंत किया है। इस कार्य में सबसे अहम भूमिका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धमधा के चिकित्सक डॉक्टर दिशा ठाकुर, डॉक्टर शीतल यादव व चिकित्सालय के स्टाफ नर्सों का रहा है। चिकित्सालय ने इस काम को मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर, खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर डीपी ठाकुर की देखरेख में किया गया है।

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