scriptजब नौकरी नहीं मिली तो खेतों में हल जोता अब इंडिगो का प्लेन उड़ाएगा दुर्ग का धर्मेेंश | Durgs young dharmesh got job in Indigo airlines as pilot | Patrika News

जब नौकरी नहीं मिली तो खेतों में हल जोता अब इंडिगो का प्लेन उड़ाएगा दुर्ग का धर्मेेंश

locationभिलाईPublished: Dec 26, 2019 12:39:53 pm

Submitted by:

Mohammed Javed

इंडिगो में उनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। जल्द ही वे ज्वाइन करेंगे।

durgs young pilot dharmesh

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भिलाई . ये कहानी है दुर्ग के धर्मेश चंद्राकर की। रायपुर से इंजीनियरिंग की। 2007 में उन्होंने अखबारों में पढ़ा कि इंडिया में पायलट की कमी चल रही है। तभी तय कर लिया कि पायलट बनना है। इंटरनेट से पता लगाया कि कैसे बन सकते हैं। जानकारी एकत्र कर 2008 में अमरीका गए। सालभर की ट्रेनिंग के बाद लौटे तो भारत में स्थिति उलट थी। यहां कई फ्लाइट कंपनियां बंद हो चुकी थी। कोई अवसर नहीं बचा था। धर्मेश ने खेती शुरू कर दी। दोस्त और रिश्तेदार कहने लगे कि खेती ही करनी थी तो अमरीका में जाकर पढऩे की क्या जरूरत। धर्मेश ने किसी की बातों का कोई जवाब नहीं दिया। क्योंकि उन्होंने तय कर रखा था कि जवाब काम से देंगे। इंडिगो में उनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। जल्द ही वे ज्वाइन करेंगे।
धान, गेहूं, चना उत्पादन से उठाया पढ़ाई का खर्चा
धर्मेश जब अमरीका से लाइसेंस लेकर स्वदेश लौटे तो यहां की फिजा बदल चुकी थी। एयरलाइंस कंपनियां बंद हो रही थी। इस वजह से सीनियर पायलट खुद काम की तलाश में थे। ऐसे धर्मेश का कोई चांस नहीं था। घर में खेती थी। उन्होंने इसी पर काम शुरू कर दिया। हालांकि कुछ दोस्तों और नातेदारों ने ताने भी मारे। धर्मेश ने गेहूं, धान, चना और मक्का की खेती से इतनी कमाई कर ली कि जॉब लगने के बाद दोहा कतर में ट्रेंनिंग पर खर्च हुए 20 लाख रुपए की भरपाई हो गई।
किसानी के साथ करते रहे पायलट बनने प्रयास
कर्मशियल पायलट की डिग्री थी फिर भी वे किसानी के साथ एयरलाइंस के लिए भी प्रयास करते रहे। अंतत: उन्हें इंडिगों में जॉब मिल ही गई। उन्होंने बताया कि जल्द ही वे ज्वॉइन करने वाले हैं। शुरुआती तौर पर उन्हें सालाना 29 लाख का पैकेज मिलेगा। उसके सालभर बाद यह राशि 40 से 45 लाख रुपए हो जाएगी।
पायलट बनने के लिए जरूरी योग्यता
भारत में पायलट बनने के लिए 12वीं में मैथ्स और फिजिक्स जरूरी है। अंग्रेजी की जानकारी इसलिए क्योंकि टॉवर के जरिए इसी लैंग्वेज में बात होती है।

इंडिया में थ्योरी, अमरीका में प्रैक्टिल का महत्व
धर्मेश ने अमरीका में फ्लाइंग चेक के दौरान 270 घंटे की उड़ान भरी। इसके अलावा सिम्युलेटर पर भी टेस्ट दिया। सिम्युलेटर एक तरह से कॉकपिट का डेमो है जिसमें एक्चुअल की सारी इमरजेंसी प्रैक्टिस कराई जाती है। इसमें तमाम तरह की डिफिकल्टीज का सामना करना होता है। इंडिया में पायलट का टेस्ट काफी टफ होता है। यहां थ्योरी पार्ट को प्रायोरिटी दी जाती है, जबकि अमरीका में प्रैक्टिकल पर विशेष फोकस होता है।
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