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हिंदी में भी आएंगी इंजीनियरिंग की किताबें, केमिस्ट्री के लिए देशभर के प्रोफेसरों के बीच CG की डॉ. मनीषा की किताब का चयन

locationभिलाईPublished: Jul 24, 2021 05:34:38 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग में पढ़ाई जाने वाली किताबों का हिंदी में ट्रांसलेशन कराने का निर्णय लिया है।

हिंदी में भी आएंगी इंजीनियरिंग की किताबें, केमिस्ट्री के लिए देशभर के प्रोफेसरों के बीच CG की डॉ. मनीषा की किताब का चयन

हिंदी में भी आएंगी इंजीनियरिंग की किताबें, केमिस्ट्री के लिए देशभर के प्रोफेसरों के बीच CG की डॉ. मनीषा की किताब का चयन

भिलाई. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग में पढ़ाई जाने वाली किताबों का हिंदी में ट्रांसलेशन कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए मूल किताबों का चयन कर लिया गया है, जिनका अंग्रेजी से हिंदी सहित 10 क्षेत्रीय भाषाओं में रूपांतरण होगा। छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है कि देशभर के प्रोफेसरों की किताबों के बीच भिलाई की प्रोफेसर डॉ. मनीषा अग्रवाल द्वारा लिखी केमिस्ट्री कि किताब को चुना गया है। डॉ. मनीषा संतोष रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज आर-1 (आरसीईटी) में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। देशभर से सिर्फ 6 लेखकों का चयन किया गया है। इस सूची में प्रोफेसर अग्रवाल भी शामिल हुई हैं। अन्य विषयों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली से गणित के लिए प्रोफेसर नियुक्त हुए हैं। शिमला से अंग्रेजी विषय, पश्चिम बंगाल से भौतिकी, कर्नाटक से कार्यशाला अभ्यास और छत्तीसगढ़ से रसायन विज्ञान को चुना गया है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कि किताब पंजाब के प्रोफेसर तैयार करेंगे।
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सीएसवीटीयू को मिली है जिम्मेदारी
तकनीकी पुस्तक लेखन और क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद के लिए छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमके वर्मा कमेटी के चेयरमैन बनाए गए हैं, जबकि कमेटी में उनके साथ तीन और सदस्य के नाम शामिल किए गए हैं। इस तरह से कमटी में चार सदस्य होंग। कमेटी के सदस्य ही तकनीकी पुस्तक लेखन और क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद के कार्य देखेंगे। एआईसीटीई ने इसके लिए सक्षम प्राधिकारी समिति के गठन को मंजूरी दी है। इन पुस्तकों को अनुवाद के बाद प्रिंट किया जाएगा। क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एआईसीटीई ने सीमित मात्रा में अभी तकनीकी पुस्तक लेखन योजना शुरू की जा रही है। पुस्तकों के मुद्रण के तौर-तरीकों और जरूरतों का आंकलन कर ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

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