अब प्रदेश के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए जेइइ मेंस में १० फीसदी न्यूनतम अंकों की बाध्यता नहीं होगी। जी…हां, यदि मेंस में छात्र को एक अंक भी मिला है तो प्रवेश ले सकेगा। डीटीई ने आदेश जारी कर बताया है कि शून्य प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाले छात्र प्रवेश के लिए पात्र मान जाएंगे।
पहले क्या था नियम
इस नए आदेश के पहले तक प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज में जेइइ मेंस स्कोर से प्रवेश लेने के लिए १० फीसदी अंकों का होना जरूरी था। मेंस की परीक्षा 360 अंकों की होती है, यानि न्यूनतम ३६ अंक चाहिए होते थे। अब नियम बदलने से यह बाध्यता नहीं होगी। एक अंक भी लाने वाला कोई भी छात्र आसानी से प्रवेश ले पाएगा।
अकसर यह देखा गया था कि 36 अंक लाने में महज दो-चार अंकों से चूक गए छात्र काउंसलिंग से बाहर हो जाते थे। क्योंकि न्यूतनम अंकों की बाध्यता थी। विशेषज्ञ बताते हैं कि कई बार २९, ३२ या ३५ जैसे अंक लाने पर छात्रों को कॉलेज नहीं मिलता था। ऐसे छात्रों के लिए भी राहत हो गई है।
एपिक ने दिया था प्रस्ताव
निजी इंजीनियरिंग कॉलेज एसोसिएशन (एपिक) ने इस नियम में बदलाव के लिए राज्य सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा था। एपिक के सदस्य तकनीकी शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय से भी मिले थे। सदस्यों ने चार मुद्दों पर सरकार ने सहयोग मांगा था, जिसमें से जेइइ मेंस स्कोर को शिथिल करना भी एक था। कॉलेजों में प्रवेश के घटते ग्राफ के कारण सरकार को निर्णय लेना पड़ा।
तीसरे राउंड में हो सकेंगे शामिल
जेइइ मेंस स्कोर की काउंसलिंग बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी है, डीटीई ने कहा है कि ऐसे छात्र पीईटी के तीसरे राउंड की काउंसलिंग में भी शामिल हो पाएंगे। ऐसे छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। पीईटी का तीसरा चरण १२ जुलाई से शुरू होगा, जिसमें छात्र शामिल हो सकेंगे। इसी तरह एक अगस्त से इंस्टीट्यूट लेवल काउंसलिंग भी शुरू हो जाएगी। इसमें भी ऐसे छात्र शामिल हो पाएंगे।
काउंसलिंग प्रभारी डीटीई एके गर्ग ने बताया कि जेइइ मेंस के १० फीसदी अंकों की बाध्यता हटा दी गई है। इसका सीधा फायदा छात्रों को होगा। कॉलेजों की सीटें भी भर पाएंगे। छात्र आगामी काउंसलिंग में शामिल हो सकते हैं। प्राचार्य बीआईटी डॉ. अरूण अरोरा ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज एसोसिएशन ने इसके लिए प्रस्ताव रखा था।
अब नियम में बदलाव के बाद काफी सीटें भरेंगी। इससे छात्र को ही राहत मिली है। डायरेक्टर शंकराचार्य टेक्निकल कैंप डॉ. पीबी देशमुख जेइइ मेंस स्कोर को शिथिल करने से यकीनन छात्रों और कॉलेज दोनों को ही फायदा होगा। कई छात्र होते हैं जो सिर्फ एक-दो अंक कम होने से प्रवेश पाने पात्र नहीं होते थे। अब उन्हें राहत मिली है।