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कहने को है यह सरकारी स्कूल पर सुविधा कॉन्वेंट जैसी, पढि़ए कैसे शिक्षकों ने बदली छोटे से गांव के जर्जर विद्यालय की सूरत

locationभिलाईPublished: Dec 19, 2019 01:03:44 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

प्राथमिक व मिडिल स्कूल अछोटी के प्रधान पाठक राधेलाल चन्द्राकर ने अपने प्रयास से इस सरकारी स्कूल की तस्वीर ही बदल दी है। (Bhilai News)

कहने को है यह सरकारी स्कूल पर सुविधा कॉन्वेंट जैसी, पढि़ए कैसे शिक्षकों ने बदली छोटे से गांव के जर्जर विद्यालय की सूरत

कहने को है यह सरकारी स्कूल पर सुविधा कॉन्वेंट जैसी, पढि़ए कैसे शिक्षकों ने बदली छोटे से गांव के जर्जर विद्यालय की सूरत

भिलाई/अंडा. जहां चाह है वहां राह है, इस सोच को साकार कर दिखाया है सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने। अपनी नई सोच से एक सरकारी स्कूल को ऐसे संवारा कि वहां अब प्राइवेट स्कूलों से भी ज्यादा अच्छी शिक्षा और सुविधाएं बच्चों को मिल रही है। प्राथमिक व मिडिल स्कूल अछोटी के प्रधान पाठक राधेलाल चन्द्राकर ने अपने प्रयास से इस सरकारी स्कूल की तस्वीर ही बदल दी है। यहां शहर के निजी कॉन्वेंट स्कूलों की तरह अध्यापन व बच्चों की सुविधाओं के सभी आधुनिकतम संसाधन उपलब्ध है। यहां स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी सहित अन्य सुविधाएं शिक्षकों ने ही खुद अपने प्रयासों से बनाया है। यही कारण है कि कई निजी स्कूलों के बच्चे अब इस सरकारी स्कूल का ओर रुख कर रहे हैं।
अछोटी में प्रथमिक शाला सन 1956 से संचालित है। 2004 में यहां मिडिल स्कूल प्रारंभ हुआ। 118 बच्चे यहां अध्ययन कर रहे हैं। इस स्कूल में किचन गार्डन का निर्माण किया गया जहां हरी सब्जियां, फल- फूल और औषधी पौधे लगाए गए हैं। इसकी देखरेख स्कूली बच्चे और शिक्षक करते हैं। आधुनिक सुविधाओं के साथ यहां पर्यावरण व स्वच्छता का संदेश देखने को मिलता है। स्कूल के बीचो बीच देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ बना है और ठीक इसके नीचे भारत का नक्शा गार्डन के रूप में है जो स्कूल का सौंदर्य बढ़ा देता है।
ग्रामीणों ने अर्थदान कर संवारा स्कूल को
विद्यालय के व्यवस्थित संचालन में आसपास के ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिलता है। जब से स्कूल में व्यवस्था बदली है, अभिभावक भी जागरूक हुए हैं। पठन-पाठन को सुचारु बनाने में यदि कोई समस्या आती है, तो शिक्षक आपस में मिलकर उसका समाधान निकाल लेते है। स्कूल में व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कुछ ग्रामीणों ने अर्थदान भी किया है। प्रधानपाठन के इस कार्य में स्कूल के शिक्षा मित्र का भी सहयोग मिला।
प्रोजेक्टर में होती है पढ़ाई
यहां ब्लैक बोर्ड के साथ बच्चे प्रोजेक्टर से भी पढ़ाई करते हैं। स्कूल के बच्चों को पेयजल और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझना नहीं पड़ता। स्कूल पिछले पांच वर्षों में बुनियादी रूप से इतना सक्षम हो गया कि प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस देकर पढऩे वाले बच्चे अब यहां एडमिशन करा रहे हैं। यहां के बच्चों का शैक्षिक स्तर किसी भी कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चों से कमतर नहीं है।
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