विद्यालय के व्यवस्थित संचालन में आसपास के ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिलता है। जब से स्कूल में व्यवस्था बदली है, अभिभावक भी जागरूक हुए हैं। पठन-पाठन को सुचारु बनाने में यदि कोई समस्या आती है, तो शिक्षक आपस में मिलकर उसका समाधान निकाल लेते है। स्कूल में व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कुछ ग्रामीणों ने अर्थदान भी किया है। प्रधानपाठन के इस कार्य में स्कूल के शिक्षा मित्र का भी सहयोग मिला।
यहां ब्लैक बोर्ड के साथ बच्चे प्रोजेक्टर से भी पढ़ाई करते हैं। स्कूल के बच्चों को पेयजल और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझना नहीं पड़ता। स्कूल पिछले पांच वर्षों में बुनियादी रूप से इतना सक्षम हो गया कि प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस देकर पढऩे वाले बच्चे अब यहां एडमिशन करा रहे हैं। यहां के बच्चों का शैक्षिक स्तर किसी भी कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चों से कमतर नहीं है।