बीएसपी में श्रमिकों को अधिकार दिलाने जूझ रही ठेका प्रकोष्ठ यूनियन, सीटू के पदाधिकारियों के हाथ जब यह दस्तावेज लगा कि ठेकेदार काम के बदली में भुगतान के लिए बैंक का ऐसा दस्तावेज पेश करते हैं, जो हकीकत से जुदा है, तो वे हैरान रह गए। इस कागज को लेकर बीएसपी प्रबंधन के पास पहुंचे। वे उम्मीद कर रहे थे कि प्रबंधन गलत जानकारी देकर बीएसपी को गुमराह करने के मामले में तुरंत एक्शन में आएगा।
सीटू के पदाधिकारियों ने बताया कि बैंक से संबंधित स्टेटमेंट ठेकेदार आईआर विभाग में पेश करता है, वह फर्जी है। मजदूरों के खातों में पहुंचे वेतन व बैंक स्टेटमेंट देखने से यह साफ हो रहा है। इस तरह से प्रबंधन के साथ धोखाधड़ी किया गया है। प्रबंधन ने दस्तावेज देखने के बाद ठीक वैसे ही बर्ताव किया जैसे ज्ञापन सौंपते समय।
यहां सबसे बड़ी बात यह है कि दस्तावेज के साथ बीएसपी के विजलेंस विभाग को भी यूनियन ने जानकारी दी है। विजलेंस को दिल्ली से कार्रवाई के लिए अनुमति लेनी होती है, इसके बाद कार्रवाई शुरू करनी है। विभाग के अधिकारी खुद जब दबे स्वर में ठेकेदार के दस्तावेज में गलती को स्वीकार कर रहे हैं, तब विजलेंस को कार्रवाई करने के लिए और किसका इंतजार है।
संयंत्र के भीतर वर्तमान में कई यूनियन चुनाव लडऩे के लिए सक्रीय हैं। एक-एक विभाग की समस्या का जायजा लेने सभी यूनियन पहुंच रही है। वहां फोटो सेशन भी करवाया जा रहा है, लेकिन इस गंभीर मामले में वे एक साथ मिलकर मजदूरों के हक में संघर्ष करने आगे नहीं आए। सीटू ने इस विषय को सामने लाने हिम्मत तो किया।
सीटू के महासचिव योगेश सोनी ने बताया कि जल शोधन संयंत्र में 14 एचएसएलटी श्रमिक काम करते हैं। जिसमें कैलाश, नोहर दास, रामजस कौशिक, चोवा राम, छेरकू राम, रामनाथ, गंगाराम, हिरामन, गीता बाई, त्रिवेणी बाई, जानकी बाई, पूर्णिमा बाई, राम बाई और कुंती बाई शामिल है। इनको वास्तविक वेतन से करीब 3 हजार से 32 सौ रुपए तक कम भुगतान किया गया है। इस तरह से ठेकेदार हर माह करीब 42 हजार बचा रहा था।
फर्जी दस्तावेज पेश करने के मामले को जिस तरह से सीटू के अध्यक्ष जमील अहमद और महासचिव योगेश सोनी ने उठाया है, उससे संंयंत्र के ठेकेदारों में हड़कंप है। बीएसपी के कुछ ठेकेदार इस बात से डरे हुए हैं कि वे जिस तरह से गड़बड़ी करते हैं, वह सामने न आ जाए।