दो माह में अब तक दर्ज नहीं हुआ एफआईआर
खाद्य विभाग के अधिकारी ने विभाग की आईडी हैक कर अज्ञात व्यक्ति ने फर्जी राशन कार्ड तैयार किया। इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए खुर्सीपार थाना में पत्र भेज दिया है। दो माह से इस मामले में अपराध दर्ज नहीं हुआ है। आखिर खुर्सीपार स्थित बापू नगर के एक सरकारी राशन दुकान से खाद्य सामग्री फर्जी राशन कार्ड के सहारे पार की जा रही थी। तो इस मामले को पुलिस दर्ज कर पूछताछ क्यों शुरू नहीं कर रही है।
कार्ड फर्जी राशन असली
पूरे मामले में अहम बात यह है कि जिन फर्जी राशन कार्डों के सहारे लाखों का राशन पार किया जा रहा था। उस मामले में फर्जी राशन कार्ड पर तो विभाग ने कार्रवाई करने कदम बढ़ाया, लेकिन राशन किसने पार किया और बिना थम के सरकारी राशन दुकान से कितने महीनों तक राशन दिया जा सकता है। अगर लगातार बिना थम के राशन निकाला जा रहा है तो उसमें किस तरह की कार्रवाई की जानी चाहिए थी। तीन-तीन साल तक राशन पार होता रहा तब कार्रवाई नहीं करने के लिए कौन जिम्मेदार है। इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी किस अफसर की होती है।
अपराधिक कृत्य
जांच की कंडिका – 5 के मुताबिक राशकार्ड का ट्रांसफर खाद्य विभाग, दुर्ग के अधिकृत आईपी एड्रेस से नहीं किए। किसी अन्य आईपी एड्रेस का प्रयोग करते हुए किए हैं। जिसमें जिला खाद्य कार्यालय की कोई भूमिका नहीं है। जांच में साफ होता है कि किसी अनाधिकृत व्यक्ति ने शासकीय उचित मूल्य की दुकान आईडी क्रमांक 431004163 से 150 राशनकार्डो को आईडी क्रमांक 431004231 में अनाधिकार स्थानांतरित किया है, जो कि अपराधिक कृत्य है।
दो दुकान को किया निलंबित और अटैच
खाद्य विभाग ने शासकीय उचित मूल्य की दुकान आईडी क्रमांक 431004163 को आईडी क्रमांक – 43100416२ बालाजी प्रा.सह.उप.भंडार में अटैच किया। इसी तरह से शासकीय उचित मूल्य की दुकान आईडी क्रमांक 431004231 को शासकीय उचित मूल्य की दुकान आईडी क्रमांक 431004230 स्व सहायता समूह में अटैच किया। एक भाई जिसका संचालक है उस दुकान को अधिकारियों ने उसकी बहन के नाम अटैच कर दिए। जिससे संचालक को इस कार्रवाई से किसी भी तरह का नुकसान न उठाना पड़े।
हजम करने वालों से रिकवरी करने कोई पहल नहीं
लाखों का राशन हजम करने वालों पर विभाग नरमी बरत रहा है। विभाग ने मान लिया कि फर्जी राशन कार्ड बनाए गए। जिनके नाम पर राशन कार्ड बने, वह असल में अस्तित्व में नहीं है। तब राशन को एक साथ किसने पार किया। अब उस राशन को किस तरह से रिकवर करना है। इस दिशा में विभाग ने अब तक कोई पहल नहीं की है। राशन कार्ड फर्जी था लेकिन उन फर्जी राशन कार्ड के नाम पर राशन असल में विभाग भेज रहा था। संचालक उसे गोडाउन में उतार रहा था। यह सबकुछ काम अज्ञांत लोग तो नहीं कर रहे थे। इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाने विभाग अब तक आगे नहीं आया है।
जांच टीम में यह थे शामिल
कलेक्टर ने जिस टीम को जांच की जिम्मेदारी दी उसमें डिप्टी कलेक्टर सरोज महिलांग, नगर पालिक निगम, रिसाली जोन के आयुक्त रमाकांत साहू, सहायक खद्य अधिकारी तारेंद्र सिंह अत्री, खाद्य निरीक्षक सुरेश साहू शामिल थे। टीम ने जांच कर प्रतिवेदन कलेक्टर के समक्ष पेश किया। जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। अब साफ हो रहा है कि कार्रवाई से दुकान के संचालकों को नुकसान न हो इस ओर भी अफसर ध्यान दे रहे थे।
अटैच कर देते पर यह नहीं देखते किसकी दुकान है वह
सीपी दिपांकर, खाद्य नियंत्रक, दुर्ग ने बताया कि निलंबित करने के बाद दूसरी दुकान में शासकीय उचित मूल्य की दुकान को अटैच कर दिया जाता है। यह नहीं देखते कि किसकी दुकान है। इसकी जानकारी नहीं है कि बापू नगर की शासकीय उचित मूल्य की दुकान जिसे निलंबित किए, वह जिस संचालक की थी उसकी बहन दूसरे दुकान की संचालक है और उसमें अटैच किए हैं। खुर्सीपार पुलिस थाना में एफआईआर किया जाना है। वह पुलिस को करना है।