scriptBreaking news कोरोना से परिवार की हिफाजत का रखा ध्यान, एक साल से नहीं किया मुलाकात | Family care was taken care of by Corona, did not meet for a year | Patrika News

Breaking news कोरोना से परिवार की हिफाजत का रखा ध्यान, एक साल से नहीं किया मुलाकात

locationभिलाईPublished: May 11, 2021 10:09:33 pm

Submitted by:

Abdul Salam

कोरोना महामारी में ड्यूटी करते हुए हो गए संक्रमित, अस्पताल में करना पड़ा दाखिल, लौटकर फिर पॉजिटिव मरीजों की सेवा में जुटे.

Breaking news कोरोना से परिवार की हिफाजत का रखा ध्यान, एक साल से नहीं किया मुलाकात

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भिलाई. कोरोना महामारी के दौरान पिछले एक साल से फार्मासिस्ट गोपी देशमुख कोरोना क्वारेंटाइन सेंटर, कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर और कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे हैं। इस दौरान वे 19 अगस्त 2020 को काम के दौरान खुद संक्रमित हो गए। घर लौटे तो परिवार वालों के संक्रमित होने की चिंता सताने लगी। तब अकेले अलग से रहना शुरू किया। एक साल से परिवार के किसी सदस्य से मिले नहीं। ताकि घर में मां-बाप और नाना-नानी समेत तमाम सदस्यों की कोरोना वायरस से हिफाजत की जा सके। इसका यह फायदा हुआ है कि घर में अब तक कोई भी सदस्य संक्रमित नहीं हुए हैं। परिवार से एक साल तक बिना मिले रहने की तकलीफ तो हो रही है, लेकिन खुशी इस बात की है कि अपने फर्ज को पूरा करते हुए परिवार को सुरक्षित भी रखने में कामयाब रहे हैं।

कोविड अस्पताल में लगी ड्यूटी
स्वास्थ्य कर्मी देशमुख बताते हैं कि कोरोना महामारी के शुरू में ही कोविड अस्पताल में ड्यूटी लगा दी गई। अलग-अलग स्थान पर काम करने का अनुभव मिला। इस दौरान क्वारेंटाइन सेंटर, कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर, कंट्रोल रूम का काम किए। इस काम को करने के दौरान कोरोना संक्रमित मरीज को किस तरह से दिक्कत होती है, उसे बेहद करीब से देखा। लोगों की सेवा करने के दौरान पाया कि मरीजों को सांस लेने में कितनी परेशानी हो रही है। मरीज उनकी सेवा में लगे कर्मियों बेहद आस भरी नजरों से देखते हैं। तब इस बात का इल्म नहीं था कि जिन बिस्तरों में दाखिल मरीजों की खिदमत कर रहे हैं, उस बिस्तर तक जाने की नौबत आ जाएगी।

जांच करने पर रिपोर्ट मिली पॉजिटिव
जांच करने पर रिपोर्ट पॉजिटिव रही। इसके बाद कोविड केयर सेंटर, शंकराचार्य, जुनवानी में दाखिल किया गया। सांस लेने में थोड़ी-थोड़ी परेशानी हो रही थी। तब एहसास हुआ कि कितना रिस्क लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी काम करते हैं। नियमित दवा लेते हुए ईश्वर से प्रार्थना करता रहा। एक सप्ताह तक अस्पताल में रहा, जब तबीयत में सुधार हुई तब घर लौटा।

परिवार की कोरोना से हिफाजत के लिए दी यह कुर्बानी
देशमुख ने बताया कि परिवार में नाना-नानी, माता-पिता और दो छोटी बहन है। यह सभी उन्हें जान से ज्यादा प्यारे हैं। जिनके लिए वे हर तरह की कुर्बानी दे सकते हैं। अस्पताल से लौटते समय तय किया कि जिस बीमारी का वे सामना किए हैं, उससे परिवार के हर सदस्य की रक्षा करेंगे। उन्होंने फैसला किया कि घर के किसी भी सदस्य से मुलाकात नहीं करेंगे। वे हर तरह से परिवार के सदस्यों से दूर रहेंगे। इस प्रण को अब तक निभा रहे हैं।

बर्तन और कपड़ा भी खुद कर रहे साफ
उन्होंने बताया कि जिस तरह से कैदी को उसके बर्तन में खाना दे दिया जाता है। ठीक वैसे ही घर वालों से अपने बर्तन में खाना डाल देने के लिए कह दिया है। वे खाना देते हैं तो खाकर अपने बर्तन को खुद ही पिछले एक साल से साफ कर रहा है। इतना ही नहीं अपने कपड़े और कमरे की सफाई भी खुद अपने जिम्मे में लेकर रखा है। यह समझौता परिवार को सुरक्षित रखा है, यह बात दिल को राहत पहुंचाती है।

दोस्तों से भी बना ली दूरी
उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं परिवार के साथ-साथ दोस्तों से भी एक साल से मुलाकात नहीं किया। संक्रमित जोन में काम करने के बाद दूसरे के संपर्क में आने से उनको नुकसान हो सकता है। वे बेहद अजीज हैं, इस वजह से उन्हें भी कोरोना महामारी में अपने घर पर ही सुरक्षित रहने की बात कह देते हैं। अस्पताल से ठीक होकर लौटे तो इसके बाद सिविल अस्पताल, सुपेला में कांट्रेक्ट ट्रेसिंग, दवा प्रबंधन, होम आइसोलेशन के काम को देख रहे हैं।

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