शासन की ओर से पैरवी करने वाले सुरेश प्रसाद शर्मा और बचाव पक्ष के अधिवक्ता शब्बीर अहमद अंसारी की उपस्थिति में न्यायाधीश ने पहले उपेन्द्र सिंह उर्फ कबरा से सवाल पूछे। इसके बाद प्रीतम सिंह से सवाल पूछा गया। न्यायाधीश के पूछे गए सवाल में आरोपी पिता -पुत्र ने अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया। वे बचाव की मुद्रा में घटना से संबंधित सवालों का जवाब नहीं में दिया। बुधवार की कार्रवाई में शेष छह गवाहों का बयान लिया जाएगा।
उपेन्द्र सिंह के खिलाफ देश के कई राज्यों में अपराध दर्ज है। हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, डकैती व लूट जैसी गंभीर घटनाओं का आरोपी है। व्यापारी जयचंद वैद्य अपहरणकांड में पुलिस ने उपेन्द्र को गिरफ्तार किया था। न्यायालय ने फिरौती के लिए पेट्रोल पंप के मालिक को बंधक बनाने और फिरौती की रकम मिलने के बाद उसे रिहा करने के मामले में सजा सुनाई थी। इसी बीच उपेन्द्र सिंह ने दुर्ग सेंट्रल जेल की दीवार फांद कर फरार हो गया था। पुलिस ने उसे दोबारा गिरफ्तार कर जेल में बंद किया था। छह फरवरी २०१३ को आरोपी को जेल से भागने के मामले में बिलासपुर जेल से सुनवाई के लिए न्यायाधीश हेमंत अग्रवाल के कोर्ट में लाया गया था। वापसी के दौरान ट्रेन को हाईजेक कर उसे भगा ले गया था।
आरोपी उपेन्द्र को भगा ले जाने की साजिश उसके बेटे प्रीतम ने रची थी। प्रीतम ने स्थानीय लोगों से मुलाकात कर गिरोह तैयार कर घटना को अंजाम दिया। योजना के मुताबिक प्रीतम छह फरवरी २०१३ को दुर्ग पहुंचा और जनशताब्दी एक्सप्रेस को हाईजेक कर अपने पिता को पुलिस अभिरक्षा से छुड़ाकर भगा ले गया।
मुलजिम बयान की कार्यवाही बुधवार को भी चलेगा। इस प्रकरण में कुल 11 आरोपी हैं। दो आरपी को पुलिस ने फरार होना बताया है। वहीं जेल में निरुद्ध संजीव सिंह (२५ वर्ष), शंकर कुमार साव(१९), राज कुमार उर्फ चुन्नू कश्यप (४२), सुरेश कुमार उर्फ पप्पू यादव(२२ वर्ष) उपेन्द्र सिंह उर्फ छोटू(३७), अनिल सिंह (४७) का मुलजिम बयान होना शेष है।