script

दुर्ग जिले के किसान का कमाल, जैविक खेती से पहली बार उगाया 100% रसायन मुक्त चावल, हैदराबाद की लैब ने किया प्रमाणित

locationभिलाईPublished: Jul 11, 2020 08:07:58 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

हैदराबाद की विमटा लैब की रिपोर्ट, 98 प्रकार के रसायन से मुक्त मिला किसान के तीन प्रकार के राइस का सैंपल
इंदिरा गांधी कृषि विवि. और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने छत्तीसगढ़ में लुप्त हो रही कैंसर रोधी इलाइचा चावल के संरक्षण का सौंपा जिम्मा (organic agriculture in Chhattisgarh )

दुर्ग जिले के किसान का कमाल, जैविक खेती से पहली बार उगाया 100% रसायन मुक्त चावल, हैदराबाद की लैब ने किया प्रमाणित

दुर्ग जिले के किसान का कमाल, जैविक खेती से पहली बार उगाया 100% रसायन मुक्त चावल, हैदराबाद की लैब ने किया प्रमाणित

दाक्षी साहू @भिलाई. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के एक किसान ने सौ फीसदी रसायन मुक्त धान और चावल का उत्पादन करके जैविक कृषि का लोहा मनवाया है। हरिशंकर कुंभकार सौ प्रतिशत कैमिकल फ्री राइस का प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले प्रदेश के पहले किसान बन गए हैं। हैदराबाद की विमटा लैब ने उनके भेजे तीन प्रकार के चावल के सैंपल को शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले 98 प्रकार के रसायनों से पूरी तरह मुक्त बताया है। यही नहीं जैविक खाद गोमूत्र, गोबर से उगाए गए ब्लैक राइस, राम जीरा और जवा फूल में बाजार से मिलने वाले अन्य चावलों के मुकाबले दोगुना जिंक, विटामिन और अन्य स्वास्थ्यवर्धक तत्वों की अधिकता भी लैब ने प्रमाणित की है। जिसके चलते इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने छत्तीसगढ़ में लुप्त हो रहे कैंसर रोधी और औषधीय गुणों से युक्त इलाइचा चावल को संरक्षित करने की जिम्मेदारी भी इन्हें सौंपा है।(Black rice in Chhattisgarh)
दुर्ग जिले के किसान का कमाल, जैविक खेती से पहली बार उगाया 100% रसायन मुक्त चावल, हैदराबाद की लैब ने किया प्रमाणित
छह साल पहले बंजर भूमि से की थी जैविक कृषि की शुरूआत
दुर्ग जिले के छोटे से गांव कोलिहापुरी के 45 वर्षीय किसान हरिशंकर कुंभकार ने आज से सात साल पहले बंजर भूमि में जैविक कृषि की शुरूआत की थी। उन्होंने बताया कि जैविक खादों के लगातार प्रयोग के चलते इंडिया आर्गेनिक संस्था ने उनके चावल को सर्टिफाइड किया। जिसके बाद वे छत्तीसगढ़ के चार संभागों के लगभग आठ सौ किसानों को जोड़कर तीन हजार एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं। धीरे-धीरे किसानों में जागरूकता बढ़ते जा रही है यही कारण है कि आज औषधीय गुणों से युक्त ब्लैक राइस की खेती का रकबा दुर्ग जिले में पांच सौ एकड़ से बढ़कर लगभग एक हजार एकड़ तक पहुंच गया है।
छत्तीसगढ़ में लुप्त हो रहे देसी किस्म के धान
धान के कटोरा के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ में ज्यादा उत्पादन और रसायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल के कारण यहां के कई देसी चावल आज लुप्त प्राय हो गए हैं। किसान हरिशंकर ने बताया कि बस्तर में उगाई जाने वाले इलाइचा इन्हीं में से एक है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, इलाइचा में पाए जाने वाले कैंसर रोधी तत्वों के कारण इसे संरक्षित और इसका रकबा बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक दीपक शर्मा की निगरानी में इस साल एक एकड़ खेत में उन्हें प्रयोगिक तौर पर इलाइचा बोने के लिए दिया गया है।
ब्लैक राइस की डिमांड देशभर में
कैंसर, मधुमेह, हृदय और अल्जाइमर जैसे घातक रोगियों के लिए उपयोगी जैविक खाद से उगाई गई ब्लैक राइस (काला चावल) की डिमांड देशभर में है। इस उत्पाद को बाजार में पहुंचाने वाले हरिशंकर ने बताया कि आर्गेनिक राइस भले ही बाकी चावलों से थोड़ा महंगा है पर बीमारियों से बचाव का गुण लिए हुए है। ब्लैक राइस की डिमांड तो देशभर में है। कैंसर रोगियों के लिए यह रामबाण दवा जैसी उपयोगी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक गेहूं और चावल के नमूनों में ऐल्ड्रिन और क्लोरफेनविनफास नामक कीटनाशकों के अंश पाए गए हैं। ये दोनों कैंसर के सबसे बड़े कारक हैं।
कैंसर के बढ़ते मरीजों को देखकर की पहल
किसान हरिशंकर कहते हैं कि हर साल कैंसर के बढ़ते मरीजों और अकाल मौत देखकर मन व्यथित हो जाता था। अपने परिवार के एक सदस्य को भी कैंसर से जूझते देखा। पंजाब की तरह छत्तीसगढ़ में भी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण रासायनिक खादों और कीटनाशकों के हद से ज्यादा इस्तेमाल से उगाई दूषित अनाज भी है। आज से छह साल पहले यूरोप गया। वहां जैविक कृषि देखकर खुद के खेत से इसकी शुरुआत की। धीरे-धीरे प्रशिक्षण और जागरुकता अभियान के चलते दुर्ग के मेटा, पथरिया, पिसेगांव आदि गांवों के किसान जुड़े। बाद में कांकेर, भानुप्रतापुर, जशपुर, बलरामपुर के किसानों को जैविक कृषि से जोड़ा। आज लगभग तीन हजार एकड़ में जैविक कृषि हो रही है।
ब्लैक राइस ये गुण आम चावल से बनाता है इसे खास
जैविक कृषि से उगाई गई ब्लैक राइस में फाइबर, एंटी ऑक्सीडेंट, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, फाइटोकैमिकल्स, विटामिन ई, प्रोटीन, आयरन, जिंक, फोलिक एडिस, कैल्शियम, पोटेशियम, शुगर फ्री और अन्य पोषक तत्व रासायनिक खाद से पैदा हुए ब्लैक राइस के मुकाबले दोगुने मात्रा में होते हैं। यह लिवर, किडनी, पेट, कैंसर और मधुमेह रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

0 ब्लैक राइस में एंथोसाइनिन पाया जाता है। यह सफेद चावल में नहीं मिलता। एंथोसाइनिन दिल का दौरा पडऩे के आशंका को काफी कम कर देता है।
0 ब्लैक राइस में प्रोटीन व्हाइट राइस के मुकाबले दोगुना होता है।
ब्लैक राइस (प्रति 100 ग्राम) न्यूट्रिशनल फैक्ट
एनर्जी- 394 किलो कैलोरी
कार्बोहाइड्रेट- 72 ग्राम
प्रोटीन- 8.94 ग्राम
फैट- 7.86 ग्राम
कीमत- 325-365 रुपए प्रति किलो

ट्रेंडिंग वीडियो