बेदम पिटाई से बंसत अचेत हो गया। इसके बाद आरोपियों ने अपनी कार में लेकर सुपेला सरकारी अस्पताल पहुंचे। वहां के डॉक्टर ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए दुर्ग जिला अस्पताल रेफर कर दिया। यह देखते हुए तीनों बाप-बेटे बसंत को उसी हालत में छोड़कर फरार हो गए।
11 वीं कक्षा में पढऩे वाली बसंत की बड़ी बेटी तृप्ति स्कूल से लौटी तब पड़ोस में रहने वाली उसकी चाची मनटोरा ने बताया कि उसके पापा को महावीर अपने घर ले जाकर पिटाई कर रहा है। वह भागते हुए महावीर के घर पहुंची। वहां कोई नहीं था। अपने पापा के मोबाइल पर फोन लगाया तो पुलिस वाले ने उठाया। उन्होंने ही बताया कि उसके पापा अस्पताल में है। तृप्ति के पहुंचने के बाद बसंत को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज शुरू कर पाते इससे पहले उसकी मौत हो गई।
मृतक की बेटी तृप्ति ने बताया कि घटना की शिकायत करने वह सुपेला थाना गई, लेकिन वहां एसआई रामपाल सिंह ने रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया। वह थाने से लौटकर अपने पड़ोसियों को इसकी जानकारी दी। खबर मिलते ही निगम के नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन और समाज के लोग थाना पहुंचे। आक्रोशित भीड़ आरोपियों की गिरप्तारी की मांग को लेकर थाने का घेराव कर दिया। इसके बाद ही रिपोर्ट लिखी गई।
एक दिन पहले ही शुरू हुए सिंंगल इमरजेंसी नंबर डायल 112 में जवानों की ड्यूटी लगने के कारण थाने में पर्याप्त बल नहीं था। इधर भीड़ आक्रोशित होती जा रही थी। कुछ लोग फोरलेन पर जाम लगाने उतारु हो गए थे। वे सड़क पर बैठने भी लगे थे। तभी पुलिस ने बीएसएफ से मदद मांगी। कुछ ही मिनटों में बीएसएफ के जवान थाने पहुंच गए और स्थिति को नियंत्रित कर लिया।