बेटियों ने पीएम को लिखे खुले पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री जी आपसे विनम्र आग्रह है कि मेरे पिताजी जो कि भिलाई इस्पात संयंत्र के नियमित कर्मचारी थे, वह 9 अक्टूबर को बीएसपी में हुए दुर्घटना के शिकार हुए और उनका निधन हो गया। माता गीता देवी का निधन 2015 में ही हो गया था। पिताजी के चले जाने के बाद हमारे परिवार में मेरी दो बहन और एक भाई हैं।
मेरी एक बहन मानसिक रूप से विकलांग है और एक छोटा भाई जो 10 वीं का छात्र है। पिता के निधन के बाद हम लोग अनाथ हो गए हैं, मेरे पिताजी के निधन के बाद बीएसपी प्रबंधन ने तय किया था कि हमें सहायता राशि व हमारे परिवार में से किसी एक को नौकरी दी जाएगी। किंतु अभी तक हम अपने पिताजी का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए हैं और उनका पार्थिव शरीर मारच्यूरी में रखा है।
प्रबंधन के अधिकारियों ने हमें किसी भी प्रकार का लिखित आश्वासन नहीं दिया जा रहा है और हमसे यह कहा जा रहा है कि हम अपने पिताजी का अंतिम संस्कार कर दें। किंतु जब हम लोग प्रबंधन के अधिकारियों से यह विनती करते हैं कि आप हमें कुछ मुआवजा राशि एवं हमारे परिवार में से किसी एक को नौकरी दे दीजिए तो वह यह कहते हैं कि आप वारिसान का प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर दें, उसके बाद हम सब देख लेंगे।
हमारे पिताजी के निधन के बाद हम लोग बिल्कुल अनाथ हो गए हैं और हम से यह कहा जा रहा है कि हम प्रमाणित वारिसानओं का प्रमाण पत्र सरकारी कार्यालय से लाकर पेश करें आपसे विनम्र आग्रह है कि इस विकट परिस्थिति में प्रधानमंत्री जी आप हमारे पालक बनकर हमारी समस्याओं को दूर करें व प्रबंधन को हमसे जो कागज मांगा जा रहा है, उन सब कागजों के बारे में हमें किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है वह कैसे बनता है और कहां से बनता है।
बेटी ने कहा है कि मैं अपने भूखे और बीमार भाई बहनों को देखूं पिताजी का अंतिम संस्कार नहीं हुआ है उसको देखूं या सरकारी कार्यालय का चक्कर लगांउ । मैं और मेरे भाई वह बहुत ही व्यथित और परेशान हो गए हैं। इस दुख की घड़ी में हमारी मदद ना करते हुए हमें कागज जी चक्करों में उलझाया जा रहा है। एक ओर पिताजी का देहांत हो गया है और दूसरी तरफ भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन के अधिकारी हमारे घर में आकर हमें अलग-अलग बातों में उलझा कर चले जाते हैं ना ही किसी प्रकार की मुआवजा राशि अभी तक दी है और ना ही नौकरी का लिखित आश्वासन दिया है।