दुर्ग जिले के 10 दिन का आंकड़ा देखे तो 39 हजार नमूना एकत्र कर जांच किया गया था। जिसमें करीब 15 हजार संक्रमित मिले हैं। जिले में कोरोना ने ऐसा कोहराम मचा दिया है कि अच्छे अच्छे लोगों के हौसले पस्त होने लगे हैं। लगातार मौत इसका बड़ा कारण है। मुक्तिधाम और मरच्यूरी की जो तस्वीर और वीडियो वायरल हो रहा है वह लोगों के मन में भय पैदा कर रहा है। जिले में लॉकडाउन का रविवार को सातवा दिन था। लोगों ने प्रशासन का पूरा सहयोग किया। व्यापारियों ने अपना कारोबार बंद रखा है। वहीं फुटकर कारोबारी भी नहीं निकले। बेजवह घूमने वाले भी बहुत कम रहे।
दुर्ग जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना जांच में लापरवाही की शिकायत मिल रही है। बताया जा रहा है कि जांच में पॉजिटिव आने की स्थिति में जांचकर्ता द्वारा मौके पर ही संबंधित को पॉजिटिव होने के प्रमाण स्वरूप हस्ताक्षरित पर्ची उपलब्ध कराया जाना है। इसी पर्ची के आधार पर कोविड हॉस्पिटल में एडमिशन का प्रावधान है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जांच के बाद लोगों को पर्ची नहीं दी जा रही है। इससे आपात स्थिति में मरीजों को अस्पतालों में भर्ती से वंचित होना पड़ रहा है। इसी तरह की शिकायत एक दिन पहले धमधा के बोड़ेगांव में सामने आई। बोड़ेगांव के कोविड मरीज ह्रदयराम देवांगन की शाम को अचानक तबीयत बिगड़ गई। इस पर उसे तत्काल चंदूलाल चंद्राकर कोविड अस्पताल भेजा गया, लेकिन अस्पताल ने बिना पॉजिटिव पर्ची एडमिशन से इनकार कर दिया। ग्रामीण रविप्रकाश ने बताया कि जांच के बाद मरीज को पर्ची ही नहीं दिया गया था। अंतत: काफी मशक्कत के बाद किसी तरह जांच के दिन उपयोग की गई रजिस्टर पंजी की कापी उपलब्ध कराई गई तब चार घंटे बाद मरीज को इलाज के लिए दाखिल किया गया।