मलयाली समाज के लोगों ने बुधवार को ओणम के मौके पर दर्जन भरसे ज्यादा पारंपरिक व्यंजन बनाए गए। बोरसी निवासी अनूप कुमार एवं उनकी पत्नी श्रीजा अनूप ने बताया कि उनके घर बेटी आर्वी और मां पूनन्ममा दामोदरन ने खूब तैयारी की थी। दोपहर को परिवार और दोस्तों के संग सभी ने केले के पत्ते में पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखा। जिसमें पारंपरिक व्यंजन आडाप्रधावन (गुड़ की खीर), अवियल (मिक्स सब्जी), सांभर, दाल, इंजीकरी (अदरक की चटनी), पायरतोरण(बरबट्टी की सब्जी), सेमिया पायसम(शक्कर की खीर), पच्चड़ी(दही से बना व्यंजन), पप्ड़म(पापड), नींबू का आचार और छोटे आम से बना कडूमांगा आदि तैयार किया गया था।
पीटीआई विनोद नायर बताते हैं कि ओणम का पर्व राजा महाबलि के स्वागत में मनाया जाता है। क्योंकि केवल एक दिन अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग जमीन दान में मांगी थी। पहले पग में भगवान ने पूरी धरती और दूसरे कदम में आकाश ले लिया, तीसरा पग रखने से पहले राजा ने अपना सिर आगे कर दिया। जिस पर पैर रखते ही वे पाताल में चले गए। राजा बलि के इस दान से खुश होकर भगवान विष्णु ने उनसे वरदान मांगने को कहा। और राजा बलि ने साल में एक बार प्रजा से मिलने का वरदान मांगा । मलयाली समाज में मान्यता है कि ओणम के दिन ही राजा महाबलि की आत्मा अपनी प्रजा की खैर-खबर लेने धरती पर आती है।