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Breaking : चेक बाउंस मामले में पाटन के पूर्व विधायक कैलाश शर्मा को कोर्ट उठने तक की सजा

locationभिलाईPublished: Jun 06, 2018 08:03:02 pm

चेक बाउंस के एक प्रकरण में भाजपा नेता एवं पाटन के पूर्व विधायक कैलाशचंद्र शर्मा को न्यायालय उठने तक सजा सुनाई गई।

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Breaking : चेक बाउंस मामले में पाटन के पूर्व विधायक कैलाश शर्मा को कोर्ट उठने तक की सजा

दुर्ग. चेक बाउंस के एक प्रकरण में भाजपा नेता एवं पाटन के पूर्व विधायक कैलाशचंद्र शर्मा को न्यायालय उठने तक सजा सुनाई गई। प्रकरण पर फैसला बुधवार को न्यायाधीश लोकेश पटले ने सुनाया। सजा सुनाए जाने के बाद आरोपी भाजपा नेता न्यायाधीश लोकेश पटेल के न्यायालय में शाम 5.30 बजे तक खड़े रहे। न्यायालयीन समय समाप्त होने के बाद वे अदालत से बाहर आए। उनके खिलाफ लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय ने कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था।
लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय को 20 हजार का चेक जारी किया था
लोक रागनी सांस्कृतिक संस्था के रिखी क्षत्रिय को आरोपी ने 12 मार्च 2013 को भारतीय स्टेट बैंक गंजपारा शाखा का 20 हजार रुपए का चेक जारी किया था। चेक खाते में जमा करने के पर भारतीय स्टेट बैंक गंजपारा शाखा ने यह कहते हुए बाउंस कर दिया कि खाताधारक के खाते में पर्याप्त राशि नहीं है।
नोटिस का नहीं दिया जवाब
पीडि़त लोक कलाकार ने न्यायालय को बताया कि चेक बाउंस होने पर उसने कई बार आरोपी से रुपए लेने निवेदन किया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद पांच अगस्त २०१३ को लीगल नोटिस भी भेजा। आरोपी ने नोटिस का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा।

आयोजन के लिए दिए थे रुपए
परिवाद रिखी क्षत्रिय ने बताया कि भाजपा नेता ने लोक कलाकार को प्रोत्साहित करने स्टील क्लब भिलाई में १२ मार्च २०१३ को कार्यक्रम आयोजित किया था। जिसमें उन्होंने लोक रागनी सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों के साथ प्रस्तुति दी थी। इस कार्यक्रम के एवज में ही भाजपा नेता ने २० हजार रुपए का भुगतान चेक से किया था।
न्यायालय का फैसला
न्यायाधीश लोकेश पटले ने चेक बाउंस की धारा के तहत न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई। साथ ही २४ हजार रुपए प्रतिकर राशि जमा करने का निर्देश दिया। राशि जमा नहीं करने पर आरोपी को दो माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
साक्ष्य को न्यायालय ने सही ठहराया
अधिवक्ता उत्तम चंदेल ने बताया कि धारा १३८ के तहत परिवाद प्रस्तुत किया गया था। हमने चेक जारी करने के उद्देश्य को प्रमुखता से रखा। साथ ही प्रमाण के लिए साक्ष्य भी प्रस्तुत किया। जिसे न्यायालय ने सही ठहराया और पक्ष में फैसला सुनाया।

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