@Patrika.संवैधानिक व्यवस्था में सिर्फ 12 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं। ऐसे में दावेदारों की सूची में मंत्री पद से वंचित रहने वालों की नाराजगी सामने आ सकती है। असंतुष्टों को मनाने के लिए उनको निगम-मंडल, प्राधिकरण की जिम्मेदारी दी जा सकती है। प्रदेश में कई प्राधिकरणों का ढांचा मंत्रालयों से भी बड़ा है। अनुभवी विधायकों को यहां समायोजित किए जा सकता है। मुख्यमंत्री ने इसका खाका भी तैयार कर लिया है।
@Patrika.कांग्रेस सरकार में भी संसदीय सचिव की नियुक्ति की जा सकती है। सरकार इससे इनकार नहीं करती है। इसके पीछे तर्क कि संसदीय सचिव पद का विरोध करने पर पिछली सरकार ने उसपर ध्यान नहीं दिया। कांग्रेस की मांग पर सरकार पद समाप्त करती तो अभी नियुक्ति करना अनुचित होता। बहरहाल, सरकार विधिक परामर्श लेकर संसदीय सचिव की नियुक्ति की तैयारी में है।
@Patrika.नई सरकार के सामने अब भी दो बड़ी उलझनें हैं। पहली तो मंत्रिमंडल में 21 विधायकों में से किसको जगह दी जाए? दूसरी उलझन विभागों के बंटवारे को लेकर है। जिन दो मंत्रियों ने शपथ ली है उनको भी विभाग आवंटित नहीं किए गए हैं। दरअसल, माना जा रहा है कि सभी 12 नाम तय होने के बाद विभागों का आवंटन किया जाएगा। दोनों मंत्री भी इससे सहमत हैं। हालांकि सिंहदेव को वित्त और ताम्रध्वज को गृह विभाग का दायित्व दिया जा सकता है।