खुर्सीपार में रहने वाली मेरी छोटी बहन शैल देवी मुझे यहां ले आई। एक दिन चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल ले आई। यहां भी तीन लाख रुपए ऑपरेशन का खर्च का हिसाब थम दिया। कागज की पर्ची लेकर हम दोनों बहने रोती हुईं अस्पताल से बाहर जा रही थीं। तभी डॉ. राहुल गुलाटी ( वह नाम नहीं जानती) की नजर हम पर पड़ गई। उन्होंने हमें रोका। मैंने पूरी व्यथा कह सुनाई। इसके बाद डॉ. गुलाटी ने कहा कि तुम्हारा इलाज यहीं होगा और नि:शुल्क होगा। हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा था। कुछ समझ में भी नहीं आ रहा था। लेकिन आज मैं आपके सामने स्वस्थ होकर इस अस्पतल से जा रही हंू।
इसके बाद डॉ. गुलाटी ने कार्डियोलॉजिस्ट एंड थोरेसिस सर्जन डॉ. सुप्रीत चोपड़ा और डॉ. आकाश बख्शी से चर्चा की। वे भी बिना फीस लिए ऑपरेशन करने खुशी-खुशी सहमत हो गए। अब वॉल्व व दवाई के लिए पैसे का इंतजाम करना था। डॉ. सुप्रीत ने अमेरिका में रहने वाली अपनी सहेली डॉ. नीना सिंह से बात की। उन्होंने भी बिना देरी के वॉल्व की कीमत 60 हजार रुपए तुरंत भेज दिए। कुछ अन्य लोगों ने दवाई में सहयोग किया।
कार्डियक सर्जन डॉ. सुप्रीत चोपड़ा ने बताया किहार्ट फाउंडेशन से जुड़ी हुई हूं। जरुरतमंदों की मदद करती रहती हंू। मैं लोगों से अपील करती हूं कि जो इलाज कराने में असमर्थ हैं, उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाएं। इलाज के अभाव में किसी का जीवन व्यर्थ न जाए।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आकाश बख्शी ने बताया कि महिला के पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे। हम लोगों ने अपनी फीस को फ्री कर दिया। सुप्रीत चोपड़ा ने हार्ट फाउंडेशन की मदद से सर्जरी की।राजकुमारी स्वस्थ्य होकर अपने घर गई। यह हमारे लिए होली का गिफ्ट है।
डायरेक्टर मेडिकल बोर्ड आल्टीस हार्ट इंस्टीट्यूट डॉ. राहुल गुलाटी ने कहा कि मेरा मानना है कि पैसे के अभाव में गरीब इलाज से वंचित नहीं होना चाहिए। आल्टीस हार्ट इंस्टीट्यूट की टीम ने मिलकर राजकुमारी की नि:शुल्क हार्ट सर्जरी की।लोगों की मदद से यह कर सका। इसका श्रेय पूरी टीम को जाता है।