scriptआपको पता है डॉक्टर बनने भी करनी पड़ती है नकल, इन साहब को देखिए एमबीबीएस का पर्चा हल करने स्मार्टवॉच में ले आए चिट | future Doctors cheating in exam. see how they inresponsible | Patrika News

आपको पता है डॉक्टर बनने भी करनी पड़ती है नकल, इन साहब को देखिए एमबीबीएस का पर्चा हल करने स्मार्टवॉच में ले आए चिट

locationभिलाईPublished: Sep 16, 2018 12:12:22 pm

Submitted by:

Mohammed Javed

साइंस कॉलेज में काफी साल के बाद आयुष की परीक्षा कराने केंद्र दिया गया है। इससे पहले भी कॉलेज के पर्यवेक्षक नकल पकड़ चुके हैं।

science college durg

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भिलाई . फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस तो आपने देखी ही होगी। कानों में ईयरफोन लगाकर नकल करने का नया तरीका दिखाया गया था। नकल का ऐसा ही नमूना आयुष विश्वविद्यालय की एमबीबीएस और बीडीए परीक्षा में भी सामने आया है। शनिवार को साइंस कॉलेज में एमबीबीएस छात्रों की परीक्षा हुई, जिसमें एक छात्रा ने अपनी बाजुओं पर उत्तर लिख रखे थे। इसी तरह एक छात्र अपनी स्मार्ट वॉच में उत्तर की पीडीएफ देखकर लिख रहा था। साइंस कॉलेज के पर्यवेक्षक इन्हें बारीकी से परख रहे थे। जब शक पक्का हुआ तो स्मार्ट वॉच जांची, जिसमें छात्र वही उत्तर देखकर लिख रहा था, जो परीक्षा में पूछा गया। वीक्षक ने तत्काल ऐसे छात्रों का यूएफएम बनाया और विवि को सूचना दी। इस परीक्षा में एमबीबीएस और बीडीएस के कई विद्यार्थियों के पास से हस्तलिखित नकल सामाग्रियां भी जब्त की गई।
बता दें कि साइंस कॉलेज में काफी साल के बाद आयुष की परीक्षा कराने केंद्र दिया गया है। इससे पहले भी कॉलेज के पर्यवेक्षक नकल पकड़ चुके हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एसके राजपूत एवं परीक्षा के केन्द्राध्यक्ष डॉ. शंकर निषाद ने बताया कि साइंस कॉलेज में वीक्षकों द्वारा कड़ाई से परीक्षा कराई जा रही है। यही वजह है कि एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एक, द्वितीय वर्ष में, एक और एमबीबीएस अंतिम वर्ष भाग दो में ३, दंत चिकित्सा पाठ्यक्रम बीडीएस अंतिम वर्ष में 1, नकलची परीक्षार्थी को वीक्षकों एवं केन्द्राध्यक्ष ने रंगेहाथ नकल करते पकड़ा।
व्हीलचेयर बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर आज

भिलाई . 5वीं राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्रतियोगिता (महिला एवं पुरुष) सीनियर वर्ग इरोड तमिलनाडु में 20 से 23 सितंबर तक खेली जानी है। इसके लिए प्रदेश की व्हीलचेयर बास्केटबॉल टीम का प्रशिक्षण शिविर पतं स्टेडियम में शनिवार से शुरू हुआ। जिसमें पुरुष वर्ग में 14 एवं महिला वर्ग में 14 खिलाडिय़ों को शामिल किया गया। व्हीलचेयर बास्केटबॉल के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक निखिलेश शर्मा ने बताया कि सबसे ज्यादा कोच को परेशानी शुरुआती स्तर पर होती है। खिलाड़ी को तकनीकी और मानसिक रूप से मजबूत बनाना पड़ता है। शारीरिक अक्षमताओं के बावजूद उनका विल पावर देख कर हम उन्हें और मजबूत बनाने में सक्षम हो जाते हैं। यह प्रशिक्षण शिविर रविवार को भी जारी रहेगा।
व्हीलचेयर बास्केटबॉल पैरालाम्पिक खेलों में शामिल है। व्हीलचेयर बास्केटबॉल विश्व चैंपियनशिप प्रत्येक पैरालीम्पिक खेलों के दो साल बाद खेला जाता है। प्रमुख प्रतिस्पर्धा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, नीदरलैंड और जापान से आता है। सबसे पहले खिलाडिय़ों का वर्गीकरण विकलांगता के विभिन्न स्तरों के आधार पर पॉइंट दिया जाता है। विकलांगता वर्गीकरण प्रणाली का उपयोग 1 से 4.5 के अंक पैमाने पर खिलाडिय़ों की कार्यात्मक क्षमताओं का मूल्यांकन करने के लिए करती हैं। यह खेल बास्केटबाल के मूल नियमों और बास्केटबॉल के स्कोरिंग अनुरूप ही खेला जाता है।

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