पूरे छत्तीसगढ़ से आए जैन मंदिरों के प्रतिनिधियों ने धर्मलाभ लिया कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 7.30 बजे श्री 1008 पाश्र्वनाथ भगवान की अष्टधातु की प्रतिमा और पाषाण की मूलनायक प्रतिमा के मंगल अभिषेक, शांतिधारा, पूजन आरती एवं आचार्य छत्तीसी विधान पूजन के साथ हुआ। माताजी के अमृतवचन में शांतिधारा का सौभाग्य प्रवीण छाबरा, भारत गोधा, दीपचंद, अभिषेक, ज्ञानचंद बाकलीवाल, प्रशांत जैन मुकेश जैन, महावीर निगोटिया, कपूरचंद छाबरा, संतोष विनायक, सुनील जैन, मुन्ना जैन, आशीष जैन, वरुण जैन, संजय चतुर, मुकेश बाकलीवाल, शिम्पी जैन, परमानंद जैन, प्रमोद जैन को मिला। सभी भक्तों ने पूज्य माता को श्रीफल अर्पण कर विधान पूजन किए। राजनांदगांव, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, रायपुर, राजिम, नागपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बुंदेलखंड सहित पूरे छत्तीसगढ़ से आए जैन मंदिरों के प्रतिनिधियों ने धर्मलाभ लिया।
नाट्य प्रस्तुति से संस्कार और देशभक्ति की सीख आज की युवा पीढ़ी व उनके परिजन को सुसंस्कार शिक्षा से जोडऩे के लिए प्रतिभास्थली की बालिकाओं ने नाट्य प्रस्तुति दी। देशभक्ति, शिक्षा, संस्कार, माता-पिता की सेवा और धार्मिक संस्कारों से आज के युवा कैसे अच्छे रूप में अपने आपको ढाले इसकी प्रस्तुति की सभी ने सराहना की।
शांति दूत बनकर जीवन जिएं अपने अमृत वचन में गुरूमती माता ने विश्व में शांति कायम रहे उसके लिए जनसमूह से कहा कि आप सभी शांति दूत बनकर जीवन जिएं। बगैर राग, द्वेष के अपने ह्रदय में अमन शांति की वास्तविकता को धारण करें। माताजी ने कहा कि आज हम अपने व्यापार व जीवन शैली को ऑनलाइन से तो जोड़ रहे है, लेकिन अपनी अंतरात्मा में, प्रभु का स्मरण, सात्विक भावों, संयम, शांति को ऑनलाइन से जोडि़ए। सादगी के साथ रहिए। मौके का फायदा मत उठाओ। मौका देखकर समयानुसार बदल जाओ। अपने आपको को पहचानो। वास्तविकता में जीवन जियो।