शासन ने शाला भवन के लिए प्रथम किश्त की राशि दी थी उसमें से 5.45 लाख का आहरण कर पंचायत ने ठेकेदार को दे दिया, जबकि अभी कार्य में कालम का ही काम हो पाया है।
भवन निर्माण में विलंब होने से स्कूल को गांव के ही ध्रुव परिवार द्वारा मुर्गी फार्म हाउस खोलने के लिए
बनाए गए बाड़े में ही स्कूल लगाया जा रहा है। बाड़ा खुला होने से ठंड के मौसम में चलने वाली ठंडी हवा से बच्चों के बीमार होने का खतरा बढ़ गया है। वहीं बाड़ा खेत में निर्मित है जिससे कीड़े, मकोड़े, सांप, बिच्छुओं का खतरा लगातार बना रहता है।
ग्रामीण अध्यक्ष तीजउ राम ने कहा ग्रामीणों की मेहनत पर पंचायत ने पानी फेर दिया है। काम ठेके में दिया गया है। पंच रामभरोसा भुआर्य ने कहा पंचायत में सरपंच द्वारा सही जानकारी नहीं दी जाती, भवन निर्माण के लिए आई राशि एक साथ क्यों निकाली गई यह नहीं बताया गया। सरपंच रामेश्वरी ठाकुर ने कहा कार्य पंचायत करा रही है। काम पर गांव के मजदूर लगे हैं। ठेकेदार सिर्फ सामग्री सप्लाई कर रहा है।
ग्रामीणों की हड़ताल के बाद स्वीकृत शाला भवन की राशि को एक ठेकेदार विशेष द्वारा स्वीकृत कराना बताकर पंचायत ने उक्त कार्य उस ठेकेदार को दे दिया। उस ठेकेदार ने उस कार्य को पेटी ठेका पर ग्राम धोबनपुरी के एक ठेकेदार को दे दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि कार्य के लिए स्वीकृत राशि का बंदरबाट किया जा रहा है। ठेका एवं उसको पेटी ठेका देने से कार्य की राशि इन ठेकेदारों के मध्य ही कमीशन में कम हो जाएगी। निर्माण कार्य में उपयोग किए जा रहे सामग्री की गुणवत्ता पर भी ग्रामीणों ने सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ईंट की क्वालिटी खराब है। और निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले सामाग्री में भी गुणवत्ता की कमी नजर आ रही है। जिससे भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार की बू आने लगी है। ऐसे में भवन की गुणवत्ता कैसे होगी।