11 से 13 साल में हो गए गुटखा के आदी
स्कूल में 6, 7, 8 कक्षा में पढऩे वाले 11 से 13 साल के बच्चे गुटखा का सेवन कर रहे हैं। बच्चों की काउंसलिंग में साफ होगा कि आखिर वे पैसा कहां से लाते हैं और यह लत उनको किस तरह से पड़ी है। छत्तीसगढ़ राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र की किशोर व किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम में इस तरह योजना नहीं बनती तो बच्चे कुछ साल में इसकी लत में पड़ जाते और देर-सबेर उसका नतीजा भी देखने को मिल जाता।
तंबाखू से होने वाले नुकसान की दी जाएगी जानकारी
जिन बच्चों के संबंध में जानकारी मिली है कि कम उम्र में तंबाखू का नशा कर रहे हैं, उनका मितानिन अलग से काउंसलिंग करेंगी। इस दौरान उनको तंबाखू के खतरे के संबंध में जानकारी दी जाएगी। जिसमें गुटखा, गुड़ाखू, तंबाखू का उपयोग करने से होने वाले मुंह, गले, पेट के कैंसर की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा ब्लड प्रेशर बढऩे की शिकायत, जिससे दिल का दौरा, लकवा का खतरा रहता है। इससे परिवार परेशान होता है, इससे परिवार टूटता है।
फॉलोअप करेंगी मितानिन
चिंहित बच्चों की काउंसलिंग के बाद मितानिन फॉलोअप करंेगी। एक तरह से पालक जिस तरह से बच्चों पर घर पर नजर रखते हैं। वैसे ही स्कूल में बच्चे की गतिविधियों पर बाल सहयोगी के माध्यम से मितानिन खुद उन बच्चों पर नजर रखने का काम करेंगी। बच्चों को नशा से दूर रखने इस दौरान कुछ खास पहल भी किया जाएगा। जिससे बच्चों ध्यान नशा की तरफ न जाए।
घर पर भी होगी नजर
बच्चे तंबाखू का उपयोग कर रहे हैं तब किस स्टेज पर हैं। आने वाले समय में किस तरह से उनको नुकसान हो सकता है, इसकी जानकारी मितानिन पालकों को भी देंगी। इसके साथ-साथ उनके घर में कौन तंबाखू या दूसरा नशा कर रहा है। यह जानकारी एकत्र की जाएगी। परिवार के सदस्यों को बताया जाएगा कि बच्चा कितना अधिक तंबाखू सेवन कर रहा है।
तहजीब भी सिखाए जाएंगे
मितानिन न सिर्फ बच्चों को नशा और दूसरी लतों के संबंध में जानकारी देंगे। बल्कि उनको अपनों से बड़ों के साथ किस तरह से व्यवहार करना चाहिए। इसकी जानकारी भी दी जाएगी। जिससे बच्चों में संस्कार जिंदा रहे। मॉडल टाउन के स्कूल में जिन बच्चों को बाल सहयोगी बनाया गया उन बच्चों में निगम, अंशु चौधुर, नागेश यादव, दामिनी मेहलांग, विद्या यादव, उदय कुमार शामिल हैं। इस दौरान मिडिल स्कूल की प्रधान पाठक गंगावति ठाकुर, शैलेश कुमार चंद्राकर, मितानिन सहयोगी सरिता सोनी, प्रमिला साहू, सरिता मेहता, रेखा पाण्डेय मौजूद थे।
बाल सहयोगियों के सहारे बच्चों को नशा से करना है दूर
नमिता सेन, मितानिन प्रेरक, भिलाई ने बताया कि 10 से 19 साल की उम्र को किशोर अवस्था कहते हैं, यह महत्वपूर्ण अवस्था होती है। इस उम्र में घर-परिवार, मित्रता, स्कूल और आसपास के वातावरण के मुताबिक किशोर लड़कों व लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। इस वक्त अगर नशा से उनको दूर रखने में कामयाब हो गए तब बाद में इस ओर आगे नहीं बढ़ते।