कोरोना महामारी के बीच वेस्ट न हो वैक्सीन
कोरोना महामारी के बीच वैक्सीन को लेकर जब हर तरफ दौड़ लगी हुई है। हर कोई चाहता है कि उसे समय पर वैक्सीन लग जाए। तब वैक्सीन अगर एक वायल में 11 से 12 डोज आ रही है। तब उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है। एक या दो डोज अगर फेंका जा रहा है, तो उससे राज्य और केंद्र दोनों को नुकसान ही हो रहा है। यह डोज उपयोग हो जाएगा तो दोनों का ही पैसा बचना है।
सीएम से शिकायत
स्वास्थ्य व बहुउद्देशीय कर्मचारी संघ, रायपुर के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष व्हीएस राव ने यह शिकायत मुख्यमंत्री समेत स्वास्थ्य मंत्री व संबंधित विभाग की अधिकारी से भी की है। उन्होंने मांग किया है कि दस डोज के बाद वायल में जो डोज बच रहे हैं, उसका उपयोग किया जाए। अगर उसका उपयोग किया जाता है तो तय है बड़ी संख्या में अतिरिक्त लोगों को भी वैक्सीन लग जाएगी। इससे कोरोना से जंग लडऩा और जीतना आसान हो जाएगा।
एक-एक डोज की है कीमत
यूनियन कहा है कि केंद्र या राज्य दोनों ही कंपनी से कोविशील्ड और कॉवैक्सीन महंगे दाम पर खरीद रहे हैं। एक-एक डोज की कीमत अदा की जा रही है। फिर वायल में आने वाले डोज को इस तरह के फेंक देना कहां तक उचित है। बेहतर होगा कि वायल में जब तक आखिरी बूंद मौजूद हो, उसका इस्तेमाल किया जाए।
केरल ने किया इस्तेमाल
केरल को जितने लाभार्थियों को लगाने वैक्सीन दी गई थी, उससे 86 हजार अधिक लोगों को वैक्सीन लगाया गया। एक कुशल नर्स एक वायल से 10 से लेकर 13 लोगों को कोरोना का टीका लगा सकती है। यह काम छत्तीसगढ़ में भी किया जा सकता है। इसके लिए उच्चाधिकारियों को निर्देश देना होगा। इसके बाद एक भी बूंद फेंकने में नहीं जाएगी।