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Video: सिखों के इस पवित्र स्थान से भारत भ्रमण पर निकला ऐतिहासिक नगर कीर्तन पहुंचा मिनी इंडिया, फूल बरसा कर लोगों ने किया स्वागत

locationभिलाईPublished: Jun 16, 2019 04:43:41 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

गुरुनानक देव जी की 550 वीं जयंती (प्रकाशोत्सव) को ऐतिहासिक बनाने के लिए ऐतिहासिक गुरुद्वारा नानक झिरा साहेब बीदर कर्नाटक से एक जून से निकला नगर कीर्तन रविवार को भिलाई पहुंचा।

Nagar kirtan Bhilai

Video: सिखों के इस पवित्र स्थान से भारत भ्रमण पर निकला ऐतिहासिक नगर कीर्तन पहुंचा मिनी इंडिया, फूल बरसा कर लोगों ने किया स्वागत

भिलाई. गुरुनानक देव जी की 550 वीं जयंती (प्रकाशोत्सव) को ऐतिहासिक बनाने के लिए ऐतिहासिक गुरुद्वारा नानक झिरा साहेब बीदर कर्नाटक से एक जून से निकला नगर कीर्तन रविवार को भिलाई पहुंचा। इस अवसर पर सिख समाज के लोगों ने नगर कीर्तन का भव्य स्वागत किया। शिवनाथ नदी तट गुरुद्वारे, नेहरू नगर और सुपेला गुरुद्वारे में लंगर प्रसाद का वितरण किया गया।
पूरे देश का भ्रमण करेगा नगर कीर्तन
गर कीर्तन के बारे में श्रद्धालुओं को जानकारी दी गई कि यह नगर कीर्तन छत्तीसगढ़ से होकर भारत के अन्य सभी प्रदेशों में का भ्रमण करेगा। पूरे देश की यात्रा करके पुन: नवंबरत तक वापस गुरुद्वारा नानक झिरा साहेब बीदर कर्नाटक में गुरुनानक जयंती के अवसर पर यात्रा का समापन होगा।
इसलिए ऐतिहासिक है नगर कर्नाटक का गुरुद्वारा
्गुरुद्वारा नानक झिरा साहिब एक सिख ऐतिहासिक स्थान है। ये गुरुद्वारा बीदर कर्नाटक में स्थित है। इस गुरुद्वारे को वर्ष 1948 में बनाया गया था और ये पहले सिख गुरु, गुरु नानक को समर्पित है। गुरु नानक देव जी दक्षिण भारत के अपने दूसरे उदासी (मिशनरी दौरे) के दौरान 1510-1514 ईसवीं के बीच बीच इस स्थान पर पहुंचे थे।
जुड़ी है ऐतिहासिक घटना
गुरुद्वारा नानक झिरा साहिब एक लोकप्रिय घटना पर बना है। जिसके अनुसार गुरु नानक ने इसका नाम रखा। इस जगह के बाहरी इलाके में पानी की कमी थी और गांव के लोगों के प्रयासों के बावजूद पीने का पानी खोजने के लिए मुश्किल हो रही थी। गुरु नानक देव जी ने अपने पैर की उंगलियों के साथ ढाल का एक हिस्सा छुआ और कुछ मलबा हटा और मीठे पानी का एक झरना वहां से निकल पड़ा। आज इस झरने पर गुरुद्वारा नानक साहिब झिरा खड़ा है।
संदेशों और आदर्शों का प्रचार
गुरुनानक देव जी के संदेशों और आदर्शों का प्रचार करने वाले रंग, रूप, जाति, धर्म, अमीरी-गरीबी, इंसान-जानवर सबभेदभावों को भूल कर सबसे समान व्यवहार करने की प्रेरणा देने वाले इस यादगार नगर कीर्तन के आयोजन को सफल बनाने में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी श्री गुरु अर्जुन देवजी के अध्यक्ष बलजीत सिंह भोगल जी, उपाध्यक्ष जसवीर सिंह सैनी आदि ने योगदान दिया।
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