सचमुच बिजली बिल को लेकर राजनीति हो रही है। ईमानदारी से राजनीतिक कोशिश नहीं की जा रही है। पक्ष- विपक्ष दोनों अपनी राजनीति कर रहे हैं। 50 फीसदी लोगों की राय है कि-
सत्ता पक्ष ने निगम चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपने घोषणा पत्र में इसे शामिल किया। टाउनशिप की जनता का भला चाहते तो निगम चुनाव से पहले योजना लागू हो जाती।
विपक्ष अब अपने सियासी लाभ के लिए अब इस मुद्दे को तूल दे रहा है। नीयत ठीक है तो अपने केंद्र की सरकार से फाइल आगे बढ़वाए। हस्तांतरण की फाइल इस्पात मंत्रालय में अटकी है।
आगामी विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा होगा। अगर जनता को बिल में रियायत मिल गई तो कांग्रेस इसे भुनाएगी। नहीं तो भाजपा को एक बड़ा सियासी मुद्दा हाथ लग ही जाएगा।
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60 फीसदी लोगों को सरकार की नीयत पर संदेह..
कहा कि अभी तक ईमानदारी से राजनीतिक कोशिश नहीं की गई, नहीं तो नतीजा सामने होता। मुख्यमंत्री सर्वसक्षम है। वे चाहे तो जैसे राज्य के बाकी उपभोक्ताओं का पैसा सीधे कंपनी के खाते में जमा की जा रही है, टाउनशिप के मामले में भी ऐसा ही किया जा सकता है।
कहा कि टाउनशिप की बिजली आपूर्ति व्यवस्था सीएसपीडीसीएल को हस्तांतरित करने संबंधी फाइल दो साल से सेल मुख्यालय व इस्पात मंत्रालय में अटकी है। केंद्र की भाजपा सरकार नहीं चाहती कि राज्य की केंद्र सरकार को इसका श्रेय मिले।
1. टाउनशिप की बिजली आपूर्ति बीएसपी के हाथ में रहनी चाहिए कि सीएसपीडीसीएल?
45 फीसदी- बीएसपी के नगर विद्यतु यांत्रिकी विभाग।
25 फीसदी-सीएसपीडीसीएल क्योंकि बिल में तभी छूट मिलेगी।
30 फीसदी- किसी के हाथ में रहे हमें तो बिल में रियायत से मतलब है।
60 फीसदी- सिर्फ राजनीति हो रही है, कोशिश नहीं।
30 फीसदी- ईमानदारी से प्रयास जारी है, नतीजे आएंगे।
10 फीसदी- कुछ समझ नहीं आ रहा है।
30 प्रतिशत- हां, विपक्ष भी सियासी लाभ के लिए ही तो अब इस मुद्दे को तूल दे रहा है।
20 प्रतिशत- ऐसा नहीं है, कोशिश हो रही है हस्तांतरण की तकनीकी अड़चन है।
80 प्रतिशत- सरकार चाहे तो सब कुछ कर सकती है। ऐसा नहीं है तो टाउनशिप में निगम अरबों रुपए क्यों फंूक रहा है?
10 प्रतिशत- हस्तांतरण की तकनीकी अड़चन को सुलझाए बगैर सरकार कुछ नहीं कर सकती।
10 प्रतिशत– दोनों सरकार टाउनशिप की जनता के बारे में नहीं सोच रही है।
50 प्रतिशत– टाउनशिप में सीएसपीडीसीएल के एंट्री से पॉवर कट शुरू हो जाएगा।
30 प्रतिशत- बिजली सस्ती होगी, प्रॉपर मेंटनेंस होगा।
20 प्रतिशत– बीएसपी कर्मियों की सब्सिडी बंद हो जाएगी। एक समय बाद बिजली महंगी पड़ेगी
बिजली के उलझे तार को ऐसे समझें
पेच यहां फंस गया है- हस्तांतरण नहीं हो पा रहा
टाउनशिप की बिजली सप्लाई अपने हाथों में लेने छग सीएसपीडीसीएल ने बीएसपी प्रबंधन सब स्टेशनों के लिए जमीन और 116 करोड़ रुपए की मांग की है।
फाइल सेल मुख्यालय व इस्पात मंत्रालय में दो साल से विचाराधीन है। पिछले दिनों आए इस्पात सचिव से स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में चर्चा की।
एक तर्क यह भी- जरूरत ही नहीं, सीधे लाभ दें
विपक्ष के मुताबिक आदेश में स्पष्ट है कि राज्य के सभी घरेलु उपभोक्ताओं को 1 मार्च 2019 से प्रति माह खपत की गई 400 यूनिट तक की बिजली पर प्रभावशील विद्युत् दरों के आधार पर आकलित बिल की राशि को आधा किया जाएगा। राज्य शासन का उक्त आदेश भिलाई टाउनशिप में रह रहे घरेलु विद्युत् उपभोक्ताओं पर भी लागू होता है। ऐसे में हस्तांतरण की जरूरत ही नहीं है।