एक साल में ही सपेरा मोहल्ला के 27 बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाया। सपेरों के जो बच्चे सांप दिखाकर भीख मांगा करते थे, उन बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ा। अब यह बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। बालिकाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए सेनेटरी पैड का इस्तेमाल बताया।
विद्यालय में धरोहर कक्ष की स्थापना कर ग्रामीण अंचल में उपयोग आने वाले विलुप्त होते जा रहे घरेलू उपकरण का सामुदायिक सहयोग से संग्रह कर वस्तुओं के अंग्रेजी व हिंदी नाम से बच्चों को अवगत कराया। संगीत के माध्यम से बच्चों की उच्चारण क्षमता का विकास किया।
प्राथमिक शाला के बच्चों को नवोदय चयन परीक्षा के लिए तैयार किया। इनके प्रयास से ही 18 बच्चों का नवोदय परीक्षा में चयन हुआ। बच्चे यदि स्कूल नहीं पहुंचते तो उनके घर जाकर बच्चों को लेकर आए। छात्रों की उपस्थिति सुधारने में प्रयास निरंतर जारी है।
विशेष कोचिंग के माध्यम से एनएमएमएस छात्रवृत्ति प्रतियोगी परीक्षा में स्कूल के 8 बच्चों का चयन इनके प्रयास से ही संभव हो पाया। बच्चों को संगीत की मुफ्त शिक्षा दी गई। वे संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से संबद्धता के लिए भी प्रयास कर रही हैं। विद्यालय में अतिरिक्त समय देकर बच्चों को संगीत की शिक्षा दी। बच्चों को कागज से बनने वाली वस्तुओं का प्रशिक्षण दिलाया।