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सुरमयी आवाज से जीता हजारों का दिल, सैकड़ों को सिखाई गायकी

locationभिलाईPublished: Mar 30, 2018 06:10:08 pm

अपनी मखमली आवाज से सबका दिल जीतने वाले गायक एवं बीएसपी के प्रथम कलाकार दीपेन्द्र हालदार की गायकी का हर कोई कायल है। 11 माह बाद बीएसपी से होंगे रिटायर्

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भिलाई. अपनी मखमली आवाज से सबका दिल जीतने वाले गायक एवं बीएसपी के प्रथम कलाकार दीपेन्द्र हालदार की गायकी का हर कोई कायल है। गायकी के साथ-साथ उनकी उंगलियां जब की-बोर्ड और हारमोनियम पर थिरकती हैं तो सुर और साज का अनोखा संगम सामने आता है। भिलाई ही नहीं देश का शायद ही ऐसा कोई मंच होगा जहां इन्होंने अपनी प्रस्तुति देकर शहर का नाम रोशन ना किया हो।
बीएसपी ने भी दीपेन्द्र की प्रतिभा को देखकर कलाकारों के लिए भर्ती का रास्ता खोला और इसमें पहले कलाकार के रूप में दीपेन्द्र की ही भर्ती हुई थी। आज उनकी रिटायरमेंट को महज 11 महीने ही बचे हैं पर उनकी गायकी दिन ब दिन और भी निखतरी चली जा रही है। एक कलाकार के रूप में वे तो स्थापति है ही बल्कि गुरू के रूप में भी सैकड़ों नए कलाकारों को तैयार कर चुके हैं।
टीचर ने मना ना किया होता तो…
दीपेन्द्र की संगीत यात्रा काफी रोचक रही है। संगीत की शुरुआत तो घर से ही हुईपर हारमोनियम सीखने के पीछे उनकी अपनी जिद थी। वे बताते हैं कि स्कूल के दिनों में वे एक संगीत प्रतियोतिा में हिस्सा लेने नंदिनी गए। तब उनके स्कूल की संगीत टीचर ने संगत करने से मना कर दिया। वे वहां बिना कोई संगीत के ही गीत गाकर आगए। घर आते ही पिताजी का 6 0 साल पुराना हारमोनियम निकाला और उसे बिना किसी सुर ताल के बजाने लगे। कुछ दिनों बाद उनके हारमोनियम से एक गीत की कुछ पंक्तियां बज गई। उनके पिताजी ने एक की-बोर्ड गिफ्ट किया और वे इसी की-बोर्ड को बजाते-बजाते एक्सपर्टबन गए।
ऐेसे मिली बीएसपी में नौकरी
दीपेन्द्र अपनी गायकी से तो शहर में पहचान बना ही चुके थे।इसी बीच 1979 में बरेली उ.प्र. में अखिल भारतीय संगीत प्रतियोगिता में उन्हें सर्वश्रष्ठ गायन के लिए स्वर्णपदक मिला। तभी बीएसपी के अधिकारियों ने उन्हें बुलाया और संगीत से संबद्धित सारे प्रमाणपत्र देखे और उन्हें आर्टिस्ट कोटे में पहली नियुक्ति दी गई जिसके बाद शहर के कईआर्टिस्ट को बीएसपी से जुडऩे का मौका मिला। इसके बाद इंडो सोवियत ग्रुप के आर्केष्ट्रा ट्रीपल एम से भी जुड़ गए।
38 साल से बीएसपी के लिएकार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर देशविदेशमें नाम रोशन करने वाले दीपेन्द्र के दो एलबम ओम हरि और नम: शिवाय रिलीज हो चुके हैं।जबिक राष्ट्र चेतना और शिवोहम रिलीज के लिएतैयार है। इन दिनों वे सूर्यविहार स्थित ताल अकादमी के संस्थापक सदस्य है जिसे अंबिका नायक ने शुरू किया। यहां वे गायन के साथ ही की-बोर्डकी शिक्षा दे रहे हैं।
बंगला जात्रा से म्युजिक डायरेक्टर
अपने पिता स्व देवेन्द्र नाथ हालदार खोलवादक और कीर्तनकार थे। उनके साथ वे बंगला जात्रा में संगीत देने लगे।े शास्त्रीय संगीत की जानकारी होने की वजह से पाश्र्व संगीत में भी उन्होंने हाथ आजमाया। फिर तो नाटकों में भी वे संगीत देने लगे और पीछे मुड़कर नहीं देखा। 13 बार राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का सम्मान लेने के बाद उन्होंने गंधर्व संगीत महाविद्यालय मुंबई से संगीत विषारद की शिक्षा पूरी की। तभी उन्हें ईरा फि़ल्म के मुखिया संतोष जैन ने एक टेलीफिल्म आस्था में संगीत निर्देशक का काम दिया। फिर उन्होंनेकई टेलीफिल्मों व धारावाहिकों में संगीत के साथ साथ अभिनय भी किया जैसे मुर्गीवाला, सपूत , क्रांतिवीर, कहां न पहुंचे रवि आदि शामिल थे।
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