scriptविंटर फ्लावर्स डे पर विशेष : फूलों की खेती में भी रोजगार की अपार संभावनाएं | immense opportunities for employment in floriculture too | Patrika News

विंटर फ्लावर्स डे पर विशेष : फूलों की खेती में भी रोजगार की अपार संभावनाएं

locationभिलाईPublished: Dec 07, 2019 11:12:29 pm

कम लोगों को पता है कि देशी गेंदे और गुलाब की खुशबू लिए वर माला से लेकर फूलों का बाजार हमारे जिले के किसानों की मेहनत से महक रहा है। दुर्ग जिले के आधा दर्जन से ज्यादा गांवों में इन दिनों फूलों की खेती से लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

भिलाई@Patrika. ठंड की शुरुआत, गुनगुनी धूप के साथ घर के गमलों से लेकर गार्डन में खिले रंगबिरंगे फूल हमारे चेहरे पर मुस्कान बिखेर देते हैं। फूलों के शौकीन ट्विनसिटी में भी अब कुछ दिनों बाद ही फूलों की बहार होगी। मैत्रीबाग से लेकर टाउनशिप के गार्डन में डहलिया, गुलाब, गेंदे के साथ सेवंती, पिटुनिया,डायएंथस, इम्पेशन, जैसे कई फूल नजर आएंगे,लेकिन इन सबके बीच हमारे जिले में खिलने वाले देशी गेंदे और गुलाब की महक भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी। बैंडबाजा और बारात के बीच सबसे खुशनुमां पल वरमाला का.. भीनी-भीनी गुलाब और गेंदे की महक के साथ नवयुगल नए जीवन की शुरुआत करते हैं और उस पल के साक्षी बने लोग फूल भी बरसाते है..और यह फूलों की महक उन्हें हमेशा याद भी रह जाती है।
गांवों की फिजा फूलों की खुशबू से महक जाती

कम लोगों को पता है कि देशी गेंदे और गुलाब की खुशबू लिए वर माला से लेकर फूलों का बाजार हमारे जिले के किसानों की मेहनत से महक रहा है। दुर्ग जिले के आधा दर्जन से ज्यादा गांवों में इन दिनों फूलों की खेती से लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। सर्दियों की शुरुआत होते ही इन गांवों की फिजा फूलों की खुशबू से महक जाती है। खासकर विंटर में गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा के साथ ही एडलक, गोडागाड की बहार होती है। पारंपरिक धान की खेती छोड़ खूबसूरत फूलों का कारोबार करने वाले यहां के किसान न केवल खुश है, बल्कि अपने-साथ-साथ वे कई लोगों को रोजगार भी दे हे हैं।
विंटर फ्लावर्स डे पर विशेष : फूलों की खेती में भी रोजगार की अपार संभावनाएं
विंटर में ज्यादा आवक
दुर्ग से लगे गांव मोहलाई के किसान प्रमोद कुमार शर्मा ने 17 साल पहले फूलों की खेती शुरू की। खुद की पांच एकड़ जमीन में उन्होंने इसकी शुरुआत की। अब काम इतना बढ़ गया कि वे 7 एकड़ जमीन अधिया में लेकर गेंदे, गुलाब और रजनीगंधा के साथ कई फूलों की खेती कर रहे हैं। वे बताते हैं कि कोलकाता से आने वाले गुलाब और गेंदे हाईब्रीड के होते है उनमें खूबसूरती तो होती है,लेकिन खुशबू नहीं होती और फूलों की असली पहचान उसकी खूशबू ही है। उन्होंने शुरू से ही देशी फसल को चुना। वे बताते हैं कि दुर्ग-भिलाई, चरोदा, कुम्हारी, रायपुर, कवर्धा, जगदलपुर सहित कई शहरों में उनके यहां के फूल मार्केट तक पहुंचते हैं। खासकर शादी के लिए बनाई जाने वाली वरमाला में फूल विक्रेता देशी गुलाब और गेंदे का ही कंबीनेशन ज्यादा पसंद करते हैं।
छह से ज्यादा गांवों में फूलों की खेती
खासकर सर्दियों से पहले दुर्ग जिले के मोहलाई, गनियारी, फेकारी, बलौदी, भेड़सर, दांडेसरा सहित कई छोटे-छोटे गांव है, जहां अब फूलों की खेती तैयार हो चुकी है। बारिश बीतने और सर्दियो ंकी शुुरुआत होने से पहले ही यहां फूलों के पौधे तैयार कर दिए जाते हैं, ताकि दिसंबर से फरवरी तक फूलों की खूब पैदावार हो। किसान बताते हैं कि अब वे सर्दियों के साथ-साथ गर्मियों और बारिश में भी सीजनल फूलों की खेती करने लगे हैं। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत हो रही है और लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter और Instagram पर ..ताज़ातरीन ख़बरों, LIVE अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो