दुर्ग से लगे गांव मोहलाई के किसान प्रमोद कुमार शर्मा ने 17 साल पहले फूलों की खेती शुरू की। खुद की पांच एकड़ जमीन में उन्होंने इसकी शुरुआत की। अब काम इतना बढ़ गया कि वे 7 एकड़ जमीन अधिया में लेकर गेंदे, गुलाब और रजनीगंधा के साथ कई फूलों की खेती कर रहे हैं। वे बताते हैं कि कोलकाता से आने वाले गुलाब और गेंदे हाईब्रीड के होते है उनमें खूबसूरती तो होती है,लेकिन खुशबू नहीं होती और फूलों की असली पहचान उसकी खूशबू ही है। उन्होंने शुरू से ही देशी फसल को चुना। वे बताते हैं कि दुर्ग-भिलाई, चरोदा, कुम्हारी, रायपुर, कवर्धा, जगदलपुर सहित कई शहरों में उनके यहां के फूल मार्केट तक पहुंचते हैं। खासकर शादी के लिए बनाई जाने वाली वरमाला में फूल विक्रेता देशी गुलाब और गेंदे का ही कंबीनेशन ज्यादा पसंद करते हैं।
खासकर सर्दियों से पहले दुर्ग जिले के मोहलाई, गनियारी, फेकारी, बलौदी, भेड़सर, दांडेसरा सहित कई छोटे-छोटे गांव है, जहां अब फूलों की खेती तैयार हो चुकी है। बारिश बीतने और सर्दियो ंकी शुुरुआत होने से पहले ही यहां फूलों के पौधे तैयार कर दिए जाते हैं, ताकि दिसंबर से फरवरी तक फूलों की खूब पैदावार हो। किसान बताते हैं कि अब वे सर्दियों के साथ-साथ गर्मियों और बारिश में भी सीजनल फूलों की खेती करने लगे हैं। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत हो रही है और लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।