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छत्तीसगढ़ के इस गांव में होली जलाने पर पशुधन पड़ जाते हैं बीमार, पढि़ए पूरी खबर

locationभिलाईPublished: Mar 01, 2018 08:28:14 pm

होली त्योहार को लेकर पूरे देशभर में अलग अलग मान्यताएं और मनाने के अपने-अपने तरीके हैं। ऐसा ही एक गांव में होली नहीं जलाई जाती। 

CG Holi 2018
बेमेतरा. होली त्योहार को लेकर पूरे देशभर में अलग अलग मान्यताएं और मनाने के अपने-अपने तरीके हैं। कहीं किसी मान्यता के चलते होली का दहन नहीं किया जाता तो कहीं पर त्योहार में भी रंग-गुलाल नहीं खेलने का रिवाज है। ऐसा ही एक गांव में भी कुछ इसी तरह की मान्यता के कारण होली नहीं जलाई जाती है। बेमेतरा जिले में काश्तकारी के नाम से प्रसिद्ध ग्राम बैजी में पिछले ढाई दशक से होलिका का दहन नहीं हो रहा है। इस गांव में अब तक इस मान्यता के कारण होली नहीं जलाई कि ऐसा करने से गांव के पशुधन बीमार पड़ जाते हैं। मान्यता है कि होली जलाने के कारण गांव के पशुओं को मुंह और पैर की बीमारी हो जाती है। इसी मान्यता के चलते होलिका दहन न कर सिर्फ रंग-गुलाल खेलकर ही होली मनाई जाती है।
25 सालों से होलिका दहन नहीं हो रहा

बेमेतरा जिला मुख्यालय से 6 किमी दूर ग्राम बैजी में 25 सालों से होलिका दहन नहीं हो रहा है। गांव के वरिष्ठजनों ने बताया कि दो दशक से अधिक समय हो गया है, यहां होलिका दहन नहीं होता है। आज से लगभग 25 साल पहले होलिका दहन के बाद गांव के किसानों के पशुधन गाय, बैल, भैंस में खुरहा-चपका बीमारी फैल गई थी। इस बीमारी के चलते कई मवेशियों की मौत हो गई थी। इसके बाद गांव में बैठक कर होलिका दहन के बाद अचानक पशुधन पर आई बीमारियों को देखते हुए विचार-विमर्श कर सर्व सम्मति से होलिका दहन की परंपरा को बंद करने का निर्णय लिया गया था।
फिर कभी बीमारी का प्रकोप नहीं हुआ

ग्रामीण बताते हैं कि इस निर्णय एवं परंपरा का पालन करने के बाद गांव में फिर कभी पशुधन पर इस बीमारी का प्रकोप नहीं हुआ है। सरपंच रमेश ध्रुव, ग्राम पटेल विजय वर्मा सहित गांव के नागरिकों इंदरमन वर्मा, सनत ध्रुव, बलवन वर्मा, सेउक वर्मा ने बताया कि वरिषठजनों के निर्णय और मान्यता के चलते होलिका दहन न करके सिर्फ रंग-गुलाल खेलकर धूमधाम से होली मनाई जाती है।
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