गैस का वजह अधिक होता है, इस वजह से पंप के भीतर गैस बैठती है और वहां काम करने वालों पर इसका असर पड़ता है। प्रबंधन ने पंप हाउस में गैस का दबाव पता चल सके, इसके लिए 12 जून की घटना के बाद से हूटर लगाने का काम शुरू किए। इसके अलावा गैस मॉनिटर भी लगाया गया है। जिससे गैस की मौजूदगी और उसका दबाव साफ मालूम हो जाता है, लेकिन वे इसके बाद भी अगले दिन यहां काम करने मजबूरी में आ रहे हैं।
बीएसपी में जमीन के नीचे पंप हाऊस पर अकेले कर्मचारी काम करते हैं। इन कर्मचारियों को जमीन के इतने नीचे जाकर बैठना पड़ता है, कि दूसरे कर्मचारी से उनकी मुलाकात भी नहीं हो पाती। कर्मचारियों की यह दिक्कत पंप हाऊस में गैस हादसे की घटना के बाद प्रकाश में आई थी।
पंप हाऊस-11 में पहुंचने के लिए कर्मचारी को तकरीबन 85 सीढ़ी नीचे उतरना पड़ता है। बीमार कर्मचारी की यहां ड्यूटी लगने से वह नीचे उतरने व चढऩे में ही पस्त हो जाता है।
बीएसपी के पम्प हाउस-34 में अक्टूबर-13 को नियमित कर्मचारी मनसाराम बेहोश पाया गया। वे भीतर में उल्टी करने के बाद बेहोश मिला था। इसके बाद तुरंत मेनमेडिकल पोस्ट से बीएसपी के जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, सेक्टर-9 अस्पताल रेफर किया गया। जहां दूसरे दिन उसकी मौत हो गई। इस मामले को लेकर यूनियन ने तात्कालीन एचओडी डीजीएम इंचार्ज पीके तेलंग से चर्चा की, लेकिन मेन पॉवर की कमी का हवाला देते हुए मामले को टाल दिया था। इसी तरह से सीढ़ी चढऩे के दौरान पिछले वर्ष पंप हाऊस कर्मचारी कमल सिन्हा की तबीयत बिगड़ गई थी। अस्पताल में दाखिल किया गया, जहां उनकी मौत हो गई थी।
शौचालय भी नहीं
बीएसपी के पंप हाऊस में शौचालय भी नहीं है। कर्मचारी को जब शौच जाने की जरूरत होती है, तो वह बाहर निकलता है। रात के वक्त 8 घंटे तक लगातार अकेले ड्यूटी करने वाले कर्मचारी अधिक तनाव में रहते हैं। पंप हाऊस के कर्मचारियों को स्वच्छ हवा मिले इसके लिए जो व्यवस्था की गई है, वह भी अब वक्त के साथ पुरानी हो चुकी है।
यह है मांग
बीएसपी कर्मचारी चाहते हैं कि संयंत्र में पंप हाऊस पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए ऊपर कंट्रोल रूम बना दिया जाए। इससे कर्मचारियों को लंबे समय तक नीचे रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पंप हाऊस में कर्मियों को वायब्रेशन, ऑयल लेवल, टेंप्रेचर जांचने का काम करना होता है।
बीएसपी में है 45 पंप हाऊस
बीएसपी के वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट के अंतर्गत 45 पंप हाउस है। इसमें से कुछ वीराने में हैं। इन पंप हाउस में प्रबंधन ने एक कर्मचारियों को तैनात किया है। यूनियन यहां दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने की मांग कर रहा है। इसके अलावा अन्य पंप हाउस में एक नियमित कर्मचारी के साथ पीआरडब्ल्यू कर्मचारी देने की मांग कर रहा है।
यह है डेंजर पंप
भिलाई इस्पात संयंत्र में 2.5 मिलियन टन वाले हिस्से में पंप हाऊस-2 व 11 में काम करना आसान नहीं है। यहां पिछले कुछ दिनों में बार-बार गैस का दबाव बढ़ा, हूटर बजा, मॉनिटर ने कितना बढ़ गया है, गैस का दबाव वह बताया, जिसकी वजह से कर्मचारी को पंप हाउस से बाहर बुलाया गया।
कब-कब बढ़ा गैस का दबाव :-
तारीख — समय — पीपीएम
7 मई 19 — दोपहर 2 बजे के बाद — 135 से 140 तक
5 मई 19 — शाम में — 70 से 80 तक
26 अप्रैल 19 — रात 11 बजे — 110 से 80 तक
27 अप्रैल 19 — शाम को — 80 से 85 तक
28 अप्रैल 19 — रात की पाली में — 100 से 110 तक