क्या है मेरी गो राऊंड सिस्टम
मेरी गो राऊंड सिस्टम वह है, जिसके तहत एक विशेष तरह की रेक रॉ-मटेरियल लेकर संयंत्र के भीतर पहुंचती है। बिना लोको को चेंज किए, यह रेक भीतर जाती है। वहां इस विशेष रेक के नीचे हिस्से से पूरा मटेरियल अनलोड हो जाता है। इसके बाद यह रेक ओ आकार के रेक से घूमकर वापस बाहर निकल जाती है।
बीएसपी या एनएसपीसीएल में कोल, आयरन ओर, कोक, लाइम स्टोन व दूसरे रॉ मटेरियल लेकर जब भारतीय रेलवे की रेक पहुंचती है। तब पहले भारतीय रेलवे अपने इंजन को बीएसपी में प्रवेश करने से पहले ही अलग कर लेती है। इसके बाद बीएसपी शंटिंग कर अपने इंजन को लगाती है। तब वह रेक आगे बढ़ती है, रेक के वैगन से मटेरियल मेनुअल या उपकरण से निकाला जाता। जिसमें खासा समय लगता है।
आधा से कम समय में हो जाएगा काम पूरा
बीएसपी में पहुंचने वाले रेक को कम से कम मटेरियल भीतर लाकर शंटिंग के बाद उतारने में 7 से 9 घंटा तक लग जाता है। वहीं गो राऊंड सिस्टम को अपनाने के बाद एक रेक को खाली करने में महज ३ घंटे का समय लगेगा। वर्तमान में एनएसपीसीएल ने इसे अपनाया है, जिसकी वजह से वहां बेहद तेजी से मटेरियल खाली करवाया जाता है।
भारतीय रेलवे के पास रेक है कम
भारतीय रेलवे के पास रेक कम है, रेलवे कम रेक से सारे आर्डर को समय पर पूरा करना चाहता है। जिसके लिए वह विलंब करने वाले प्लांट पर डेमरेज चार्ज (प्रतीक्षा शुल्क) लगाता है। बीएसपी पर हर साल डेमरेज चार्ज लगता रहा है। इंजन लोड ऑन ऑपरेशन (ईओएल) के तहत ट्रेन इंजन साइडिंग में लोडिंग या अनलोडिंग ऑपरेशन के दौरान मौजूद रहेगा, ताकि अनलोडिंग ऑपरेशन पूरा होने के तुरंत बाद इंजन वहां से रेक वापिस ले जा सके। जाया जा सके।
बीएसपी के जनसंपर्क विभाग के मुताबिक रॉ-मटेरियल के अनलोडिंग के काम में तेजी लाने के लिए मेरी गो राऊंड सिस्टम को अपनाया जाना है। यह ब्लास्ट फर्नेस-8 के करीब बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन रेलवे का करीब आधा किलोमीटर एरिया है, जिसके कारण अभी मामला अटका है। चर्चा होने के बाद इसे शुरू कर लिया जाएगा।