सीएसवीटीयू (CSVTU) की संबद्धता से यह कोर्स भिलाई के रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज (आर-1) में संचालित हो रहा है। जिसमें सीएसवीटीयू ने 60 सीटों का इनटेक दिया। कोर्स के दो साल हो चुके हैं, जबकि अभी काउंसलिंग से तीसरा बैच शुरू होगा। काउंसलिंग के ठीक पहले दो विश्वविद्यालयों के अध्यादेश में विद्यार्थी सीधे तौर पर उलझ गए हैं।
आइजीकेवी ने सीएसवीटीयू को पत्र में यह भी समझाया है कि कृषि व संबद्ध विज्ञानों में शिक्षण, अध्यापन, प्रशिक्षण की व्यवस्था करने के लिए आप (सीएसवीटीयू) सक्षम नहीं है। सबसे अहम बात यह है कि सीएसवीटीयू (CSVTU) प्रशासन को इस मामले में कोई जानकारी ही नहीं है, जबकि आइजीकेवी बकायदा इस बात का सबूत पेश कर रहा है। सीएसवीटीयू के रजिस्ट्रार व कोर्स संचालित करने वाले कॉलेज आर-1 प्रबंधन को जो पत्र भेजा गया है, उसमें पूर्व के आदेश व अध्यादेश और राजपत्र की प्रति भी साथ में है।
कुलपति सीएसवीटीयू डॉ. एमके वर्मा ने बताया कि मुझे पहले अध्यादेश देखना होगा। यदि कृषि विवि कहता है कि इस क्षेत्र में कोर्स चलाने उनका एकाधिकार है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। हमें एआइसीटीइ से मान्यता मिली है, उनके कोर्स में बीइ एग्रीकल्चर भी था, इसलिए संबद्धता दी गई। समझने के बाद ही कुछ बोलना ठीक होगा।
सीएसवीटीयू (CSVTU) रजिस्ट्रार के नाम आइजीकेवी का पत्र 4 जून को भेजा गया, लेकिन 11 जून तक भी वे मामले में स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। सीएसवीटीयू के कुलपति एमके वर्मा ने कहा है कि कोर्स अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के द्वारा लिस्ट किया गया है। उसी आधार पर पाठ्यक्रम को मंजूरी व कॉलेज को संबद्धता दे दी गई।