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CG Human story: कभी फोर्स के नाम से खौफ खाते थे आदिवासी बच्चे, आज जवानों से ट्रेनिंग लेकर जीत रहे देश के लिए मेडल

locationभिलाईPublished: Jan 20, 2018 10:20:34 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

खेल में माहिर कर आईटीबीपी के जवानों ने आगे बढऩे का नया रास्ता दिखाया।

patrika
भिलाई. आईटीबीपी के जवान सेवा परमो धर्म के पवित्र वाक्य के साथ अपनी ड्यूटी निभाते हुए ऐसे लोगों की जिंदगी संवार रहे हैं जिनके लिए कोई नहीं सोचता। ऐसे आदिवासी बच्चे जिन्हें स्कूल भी मुश्किल से नसीब हो पाता है, उन्हें खेल में माहिर कर आईटीबीपी के जवानों ने आगे बढऩे का नया रास्ता दिखाया।
मेडल जीता
कोंडागांव में तैनात इस फोर्स के अधिकारी की बेहतर सोच ने आदिवासी बच्चों की जिंदगी बदल दी। अपने गांव से हॉस्टल पहुंचे इन बच्चों को हॉकी, तीरंदाजी और जूडो की बारीकियां सीखाकर ना सिर्फ उन्हें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने लायक बनाया बल्कि उनकी मेहनत मेडल के रूप में सभी के सामने नजर आई।
16 लड़कियां शामिल
कोंडागांव के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के इन होनहार 20 बच्चों को अब आईटीबीपी के अधिकारी 31 जनवरी को केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कराने दिल्ली ले जा रहे हैं। खास बात यह है कि दिल्ली जाने वाले खिलाडिय़ों में 16 लड़कियां शामिल हैं।
रंग लाई डेढ़ साल की मेहनत
कोंडागांव में तैनान आईटीबीपी की 41 वीं बटालियन के एक अधिकारी जब नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अपने निरीक्षण में गए तो उन्होंने देखा कि वहां के बच्चों के पास आगे बढऩे का कोई दूसरा माध्यम नहीं है। तभी उन्होंने कोंडागांव में ही हॉस्टल में रहने वाले दूरदराज के आदिवासी बच्चों को खेल के माध्यम से आगे बढ़ाने की सोची।
बच्चों को ट्रेनिंग देना किया शुरू
बटालियन में मौजूद उन जवानों को खोज निकाला जो खेल कोटे से भर्ती हुए थे। तभी उन्हें आर्चरी, जूडो और हॉकी प्लेयर मिले। इन जवानों ने बच्चों को ट्रेनिंग देना शुरू किया। बस क्या था स्कूल की टीम में शामिल होकर बच्चों ने जिले से राज्य और राज्य से राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिता का सफर किया।
हॉकी टीम तैयार ही जा रही
अधिकारी बताते हैं कि इन बच्चों को वह सारी चीजें मुहैय्या कराई गई जो उनके लिए जरूरी थी। करीब 2 लाख के बजट से उनके खेल के सामान, किट, जूते की व्यवस्था की गई। कोंडागांव में जहां आर्चरी और जूडो की ट्रेनिंग दी जा रही है। वहीं मर्दापाल में हॉकी की टीम तैयार की जा रही है।
सोच और जीवन दोनों बदल जाती है
अधिकारियों का कहना है कि बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं अगर उन्हें समय रहते सही रूप में ढाला जाए तो उनकी सोच और जीवन दोनों ही बदल जाता है। खेल के माध्यम से ही सही जब यह बच्चे आगे बढ़ेंगे और अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे तब उनके पास खेल या किसी भी फोर्स या पुलिस में भर्ती होने के रास्ते खुले रहेंगे और वे भटकेंगे नहीं।
बेटियां हैं आगे
अधिकारियों ने बताया कि खेल में भी बेटियों का प्रदर्शन बेटों के मुकाबले बेहतर है। अब तक बच्चों ने कुल 29 पदक जीते हैं। जिसमें 15 तीरंदाजी और 14 जूडो के हैं। इसके साथ ही हॉकी में राज्य स्तर पर बेटियों ने गोल्ड मेडल हासिल किया।
यह बच्चे जाएंगे दिल्ली
आईटीबीपी की ओर से दिल्ली जाने वाले खिलाडिय़ों में आर्चरी की नेहा मरकाम, लक्ष्मी नेताम, रश्मि मरकाम, रमिता सोरी, विष्णु मरकाम, गोविंद देवांगन, त्रिलोचंद बघेल शामिल हैं। जूडो में पार्वती सरकार, योगेश सोरी, हॉकी से बिमला कोराम, सुमन नेताम, चंद्रिका कोराम, सुलोचना नेताम, धनेश्व कोराम, सवित्री नेताम, तनिशा नाग, रचना सोरी, सुकमारी मंडावी, सुकरी मंडावी और सेवंती पोयम शामिल हैं।

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