परिजनों ने बताया कि 8 दिन पहले सरस्वती ने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन गांव में इलाज की सुविधा नहीं मिलने से उसे लगातार बुखार और तेज आंतरिक रक्त स्त्राव हो रहा था। महिला की गंभीर स्थिति को देख कमाडेंट ने हडेली के कैंप कमांडर असिस्टेंट दीपक भट्ट से महिला को कोंडागांव अस्पताल भेजने की व्यवस्था करने कहा।
तेज बारिश के बाद जंगल के खराब रास्ते पर एंबूलेंस का गांव तक पहुंच पाना मुश्किल था। ऐसे में जवान स्टे्रचर पर महिला को खोरसानाला तक लेकर आए और वहां से रानापाल सीओबी भेजा, जहां मेडिकल ऑफिसर डॉ हरीश ने महिला की जांच की। आईटीबीपी की एंबुलेंस से ही उसे तत्काल जिला अस्पताल कोंडागांव भेजा गया। जहां इलाज के बाद सरस्वती खतरे से बाहर है।
एसी दीपक भट्ट ने बताया कि बारिश की वजह से पूरे रास्ते में इतना कीचड़ था कि जवानों के पैर फिसल रहे थे। तब सभी ने अपने जूते निकालकर नंगे पैर ही चलकर महिला को खोरसानाला तक पहुंचाया। उन्होंने बताया कि बटालियन के कमान अधिकारी सुरिन्दर खत्री के त्वरित निर्णय और राणापाल सीओबी में मिले प्रारंभिक इलाज की वजह से महिला की जान बच पाई।