खुद हो गए संक्रमित
बहन की मौत के बाद ड्यूटी करते हुए वे खुद भी इस दौरान संक्रमित हो गए। होम आइसोलेशन में तबीयत बिगड़ती देख उनको 24 अप्रैल को सेक्टर-9 अस्पताल में एडमिट किए। वहां भी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था तब रायपुर के निजी अस्पताल में रेफर किए। वहां से वे ठीक होकर लौटे। तब मालूम हुआ कि मां भी संक्रमित हो गई है।
मां को किए सेक्टर-9 में एडमिट
बुजुर्ग मां भी कोरोना संक्रमित हो गई, उनको 3 मई 2021 बीएसपी के पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय व अनुसंधान केंद्र, सेक्टर-9 में एडमिट किए। जहां तमाम कोशिशों के बाद भी उनको बचाया नहीं जा सका। 24 मई को मां ने भी दम तोड़ दिया। शाहिद को चिकित्सकों ने बेड रेस्ट करने कहा था। बावजूद इसके वे मां को अंतिम विदाई देने कब्रिस्तान तक पहुंचे, लेकिन दूर से ही अलविदा कहकर लौट आए। स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह से ड्यूटी किया है, वह काबिले तारीफ है। यही वजह है कि हर कोई इन कर्मियों का सम्मान समय-समय पर कर रहा है।
इस बात का है दर्द
शाहिद कहते हैं कि उनकी इच्छा थी कि छोटी बहन की तकलीफ के दौरान वे उसके पास रहें। कोरोना महामारी में हालात अस्पताल में ऐसे थे कि यह हो न सका। इसके बाद जब मां की तबीयत बिगड़ी तो वे खुद इतने बीमार हो चुके थे कि बिस्तर से उठना मुश्किल हो रहा था। इस तरह मां की भी जैसी सेवा करना था वह करने का मौका नहीं मिला। अब उनकी यादें ही हैं जिसे सहेज रखा है।