प्रकरण के मुताबिक घटना 19 मार्च दोपहर एक बजे की है। बिसौहा ने आंगनबाड़ी जाने वाली 6 साल की मासूम को अपने गांव के परिचित के ब्यारा ले गया था। जहां पर मासूम के साथ दुष्कर्म किया। इस घटना की वजह से मासूम न केवल लंगड़ाकर चलने लगी थी, बल्कि उसके नाजुक अंग में चोट भी आई थी। जिसका खुलासा मेडिकल परीक्षण से हुआ। मामला थाना पहुंचते ही पुलिस ने अपराध दर्ज करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर जेल दाखिल कराया था।
वर्तमान में आरोपी जमानत पर था। घटना के बाद वह 4 माह 22 दिन तक अभिरक्षा में रहा। इसके बाद न्यायालय ने उसे जमानत पर रिहा किया था।बुधवार को फैसला सुनाए जाने के बाद आरोपी को वापस अभिरक्षा में लिया गया और उसे जेल भेजा गया।
घटना 19 मार्च को हुई थी, पर पुलिस ने 27 मार्च को अपराध दर्ज किया। पीडि़त मासूम की मां ने पुलिस को बताया कि 23 मार्च 2014 को गांव की ही एक नाबालिग ने उसे जानकारी दी थी कि बिसौहा ने उसकी बेटी को ब्यारा ले गया था। 15 मिनट बाद मासूम रोते हुए ब्यारा से निकली थी। इसके बाद महिला ने गांव में बैठक बुलाई। ग्रामीणों के बीच अपराध स्वीकार करने पर मासूम की मां ने नंदिनी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पीडि़त
न्यायाधीश ने 30 पेज के फैसले में कहा है कि इस घटना की क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती। बच्ची को पुनर्वास योजना के तहत क्षतिपूर्ति अवश्य मिलना चाहिए। न्यायाधीश ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पत्र लिखा है कि शासन की योजना के तहत पीडि़ता को उचित मुआवजा दिलाया जाए।