41 बटालियन के कमान अधिकारी बताते हैं कि साई सेंटर राजनांदगांव ने उनसे संपर्क कर वहां से प्रतिभावान खिलाडिय़ों को चुनकर भेजने कहा। तब उन्होंने जिले की अलग-अलग लोकेशन पर लगे कैंप ऑपरेटिंग बेस के जरिए आसपास के गांवों की अंडर 14 आयु वर्ग की लड़कियों को बुलाया गया। उन 70 लड़कियों में बेस्ट २० लड़कियों को चुना गया। जिसे दो महीने ही पहले राजनांदगांव में ट्रेङ्क्षनग के लिए भेजा था, वहां एक्सपर्ट ने 10 बेस्ट खिलाडिय़ों को चुना।
स्पोटर््स अॅथारिटी ऑफ इंडिया के राजनांदगांव सेंटर के इंचार्ज एवं बॉस्केटबॉल इंडिया टीम के कोच राजेश्वर राव ने बताया कि दो महीने पहले कैंप में आई कोंडगांव की बेटियों ने खेल में कमाल दिखाया। उनमें गजब की क्षमता है। अगर उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी तो वे बेहतर परफार्म करेंगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल उनका साई में प्रवेश हो पाना मुश्किल है। इसलिए युगांतर पब्लिक स्कूल और डीपीएस राजनांदगांव प्रबंधन से बात की तो वे जिम्मेदारी लेने तैयार हो गए। इसलिए इन आदिवासी बेटियों की पढ़ाई की जिम्मेदारी युगांतर स्कूल ने उठाई है। उन्होंने कहा कि कोंडागांव में आईटीबीपी नक्सलियों से लोहा लेते हुए आदिवासी बच्चों को खेल के जरिए उन्हें जिंदगी की नई राह दिखा रहे हैं।
लाछंती नेताम, मानोती नेताम, रमशीला नेताम, पीलादेई दुग्गा, रुद्राणी कोर्राम, देविका पोयाम, रचना सोरी, रामोली नेताम, निर्मला नेताम, मदंती तमेर। खेल के जरिए नजरिया बदलने की कोशिश
सुरिन्दर खत्री, कमाडेंट, 41 बटालियन आईटीबीपी. कोंडागांव ने बताया कि हमारी बटालियन की कोशिश है कि आदिवासी बच्चों को खेल से जोड़ें ताकि वे गलत रास्तों पर ना जाएं। अगर वे इस उम्र में खेल से जुड़ेंगे तो भविष्य में अपना बेहतर कॅरियर तलाश ही लेंगे पर भटकेंगे नहीं।