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भिलाई

स्टाफ रूम में बैठे थे प्रोफेसर, छत का प्लास्टर धड़ाम से गिरा, उसके बाद जो हुआ उसे जरूर जान लीजिए…

लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बाद भी शासन स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए गए।

भिलाईJul 13, 2019 / 12:52 pm

Mohammed Javed

khursipar college

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भिलाई . खुर्सीपार शासकीय कॉलेज में पढऩा जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है। शनिवार को स्टाफ रूम में बैठे हुए शिक्षकों पर धड़ाम से सीलिंग का प्लास्टर गिर पड़ा। गनीमत रही कि इसमें किसी को भी चोट नहीं आई है। प्लास्टर गिरने के वक्त प्रोफेसर संभलकर वहां से हट गए। इस तरह चोटिल होने से बाल-बाल बचे। इसके पूर्व प्राचार्य कक्ष का प्लास्टर भी गिर चुका है, यही नहीं एक कक्षा में बैठकर पढ़ाई करते वक्त विद्यार्थियों पर भी प्लास्टर गिरा। इस दौरान एक प्रोफेसर का चोट आई थी, उनका हाथ टूट गया था। बावजूद इसके शासन ने कोई सुध नहीं ली।
भवन अधिग्रहण की फाइल अटकी
शासन ने कॉलेज के भवन निर्माण के लिए पहले ही ५ करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिए हैं, लेकिन जब तक बीएसपी भवन के मालिकाना हक की इजाजत नहीं देगा, तब तक निर्माण की एक ईंद भी कॉलेज में नहीं लगाई जा सकेगी। उच्च शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के पूरा मामला साझा किया था। भवन हस्तनांतरण की कार्रवाई केंद्रीय केबिनेट में पूरी होनी थी, लेकिन बैठक रद्द होने से फिर एक बार पूरा मामला अटक गया।
मरम्मत तक नहीं करा पाए
लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बाद भी शासन स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए गए। शासन ने कॉलेज को मरम्मत करने करीब १९ लाख का फंड दिया है, लेकिन इसकी अनुमति ही नहीं मिल पाई। यहां भी भवन का मालिकाना हक बाधा बना। पीडब्ल्यूडी ने जीर्णोद्धार के लिए इस्टीमेट तैयार किया। टीम ने निरीक्षण भी किया, पर बात आगे नहीं बढ़ी।
प्राचार्य डॉ. रीना मजूमदार ने बताया कि कक्षाओं के सीलिंग से प्लास्टर गिरने की घटनाएं लगातार हो रही है, शासन स्तर पर कोई निर्देश नहीं आए हैं, इसलिए ऐसी ही पढ़ाना मजबूरी बन गया है।
पहले ननि ने कराई थी मरम्मत
कॉलेज की शुरुआत के दौरान २०१४ में नगर निगम भिलाई ने १२,२७२७८ लाख रुपए की लागत से संधारण, विद्युतिकरण और जलप्रदाय जैसे कई कार्य कराए थे। इस राशि से सिर्फ एक तल की ही मरम्मत हुई थी।

बीएसपी ने मांगी थी कॉलेज से जानकारियां
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सेल से जुड़ा यह प्रस्ताव रखने के लिए बीएसपी के नगर सेवा विभाग ने कॉलेज से जानकारियां मांगी थी। इस बात को ६ महीने से अधिक का समय बीत चुका है। इसमें विद्यार्थियों और संचालित कोर्स का विवरण, उपयोग किए जा रहे कमरे, बिजली का बिल व बीएसपी को चुकाया जा रहा किराया जैसे बिंदु शामिल थे।
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